Welcome to Real Ghost Stories(भूतो की कहानियाँ )
Mano Ya Na Mano Release on dated 23rd August 2012, Real Ghost Stories (भूतो की कहानियाँ )Mano Ya Na Mano providing a fresh source of first hand images,information,and research into the world of the paranormal,it contains an ever growing collection of first hand, true ghost stories, classic photographs and images.

Real Ghost Stories – The Devil and his demons, ghosts, vampires, ghouls, evil human and animal spirits all walk the Earth freely to this very day. The reports by psychics and common people from all corners of the planet are unanimous—Ghosts are real. Some of them are evil, cunning, and manipulative while others are benign.

Do YOU believe in Ghosts? Do you think we, the believers, are weird or strange? Read on and you might just assent to our belief.

We, the people who believe, know there are many unsolved mysteries in this world. Those who don't believe say there are no such things as ghosts, spirits, demons, vampires, haunting, and so on, but rather strangely, will likely never agree to sleep alone in a graveyard at night. And some are even paranoid of the dark. What gives?

Well, I hope you will give me and my fellow believers a chance to convince you about the "cosmic unknown".

Since you are still here, good, at least you are curious. Or maybe, there is more to your curiosity than you care to admit. Please share with us if you dare.


Anyway, I want to thank all those who have sent me their stories. There have been hundreds of stories, and I can't possibly edit them all in the near future, so I ask you to be patient and to keep sending your stories. Some of the stories may not be featured on this website but may end up in my upcoming post.

क्या है श्रापित कोहिनूर का राज ?

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कहते हैं बिजली एक बार गिरे तो वह दुर्घटना है, उसी स्थान पर जब वह दूसरी बार गिरे तो वह एक इत्तेफाक है लेकिन अगर समान स्थान पर तीसरी बार भी बिजली गिरे तो समझ लेना चाहिए कि यह किसी का श्राप है.
भारत का विश्वविख्यात धरोहर कोहिनूर हीरा, जिसे अंग्रेज भारत से दूर लंदन ले गए थे, भले ही दुनिया का सबसे अनमोल हीरा क्यों ना हो लेकिन उसके साथ भी एक ऐसा श्राप जुड़ा है जो मौत तो लाता ही है लेकिन पूरी तरह तबाह और बर्बाद करने के बाद.

कोहिनूर अर्थात कोह-इ-नूर, का अर्थ है रोशनी का पहाड़, लेकिन इस हीरे की रोशनी ने ना जाने कितने ही साम्राज्यों का पतन कर दिया. वर्तमान आंध्र-प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित एक खदान में से यह बेशकीमती हीरा खोजा गया था. ऐतिहासिक दस्तावेजों में सबसे पहले इस हीरे का उल्लेख बाबर के द्वारा “बाबर नामा” में किया गया था. बाबरनामा के अनुसार यह हीरा सबसे पहले सन 1294 में ग्वालियर के एक अनाम राजा के पास था. लेकिन उस समय इस हीरे का नाम कोहिनूर नहीं था. लेकिन लगभग 1306 ई. के बाद से ही इस हीरे को पहचान मिली.

कोहिनूर हीरा हर उस पुरुष राजा के लिए एक श्राप बना जिसने भी इसे धारण करने या अपने पास रखने की कोशिश भी की.
इस हीरे के श्राप को इसी बात से समझा जाता है कि जब यह हीरा अस्तित्व में आया तो इसके साथ इसके श्रापित होने की भी बात सामने आई कि: “इस हीरे को पहनने वाला दुनिया का शासक बन जाएगा, लेकिन इसके साथ ही दुर्भाग्य भी उसके साथ जुड़ जाएगा, केवल ईश्वर और महिलाएं ही किसी भी तरह के दंड से मुक्त होकर इसे पहन सकती हैं.”

कई साम्राज्यों ने इस हीरे को अपने पास रखा लेकिन जिसने भी रखा वह कभी भी खुशहाल नहीं रह पाया. इतिहास से जुड़े दस्तावेजों के अनुसार 1200-1300 ई. तक इस हीरे को गुलाम साम्राज्य, खिलजी साम्राज्य और लोदी साम्राज्य के पुरुष शासकों ने अपने पास रखा और अपने श्राप की वजह से यह सारे साम्राज्य अल्पकालीन रहे और इनका अंत जंग और हिंसा के साथ हुआ. लेकिन जैसे ही यह हीरा 1326 ई. में काकतीय वंश के पास गया तो 1083 ई. से शासन कर रहा यह साम्राज्य अचानक 1323 ई. में बुरी तरह गिर गया. काकतीय राजा की हर युद्ध में हार होने लगी, वह अपने विरोधियों से हर क्षेत्र में मात खाने लगे और एक दिन उनके हाथ से शासन चला गया.

काकतीय साम्राज्य के पतन के पश्चात यह हीरा 1325 से 1351 ई. तक मोहम्मद बिन तुगलक के पास रहा और 16वीं शताब्दी के मध्य तक यह विभिन्न मुगल सल्तनत के पास रहा और सभी का अंत इतना बुरा हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

शाहजहां ने इस कोहिनूर हीरे को अपने मयूर सिंहासन में जड़वाया लेकिन उनका आलीशान और बहुचर्चित शासन उनके बेटे औरंगजेब के हाथ चला गया. उनकी पसंदीदा पत्नी मुमताज का इंतकाल हो गया और उनके बेटे ने उन्हें उनके अपने महल में ही नजरबंद कर दिया.

1605 में एक फ्रांसीसी यात्री, जो हीरों जवाहरातों का पारखी था, भारत आया और उसने कोहिनूर हीरे को दुनिया के सबसे बड़े और बेशकीमती हीरे का दर्जा दिया. 1739 में फारसी शासक नादिर शाह भारत आया और उसने मुगल सल्तनत पर आक्रमण कर दिया. इस तरह मुगल सल्तनत का पतन हो गया और सत्ता फारसी शासक नादिर शाह के हाथ चली गई. 1747 में नादिर शाह का भी कत्ल हो गया और कोहिनूर उसके उत्तराधिकारियों के हाथ में गया. लेकिन कोहिनूर के श्राप ने उन्हें भी नहीं बक्शा. सभी को सत्ताविहीन कर उन्हीं के अपने ही समुदाय पर एक बोझ बनाकर छोड़ दिया गया.

फिर यह हीरा पंजाब के राजा रणजीत सिंह के पास गया और कुछ ही समय राज करने के बाद रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई और उनके बाद उनके उत्तराधिकारी गद्दी हासिल करने में कामयाब नहीं रहे. आखिरकार ब्रिटिश राजघराने को इस हीरे के श्रापित होने जैसी बात समझ में आ गई और उन्होंने यह निर्णय किया कि इसे कोई पुरुष नहीं बल्कि महिला पहनेगी. इसीलिए 1936 में इस हीरे को किंग जॉर्ज षष्टम की पत्नी क्वीन एलिजाबेथ के क्राउन में जड़वा दिया गया और तब से लेकर अब तक यह हीरा ब्रिटिश राजघराने की महिलाओं के ही सिर की शोभा बढ़ा रहा है

Haunted Tree

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Location In the Solukhumbu District of Nepal
 Legends and Paranormal Activity
The locals consider this tree as cursed and avoid it after dark. Strange and unexplained sounds emanate from this tree after the sun sets which some have identified as a woman crying. A powerful feeling of unease and of not being wanted is also reported
Location In the Solukhumbu District of Nepal















According to police reports a woman was murdered at this site. Two days after the murder the murderer was found dead and hanging from this same tree (In the Acham District, Seti Zone. Accessible via Highway 10.)

समन्दर में कब्रिस्तान: बरमूडा ट्राइएंगल!

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 लोगों का कहना है कि अब तक जो भी उस द्वीप में गया है कभी वापिस नहीं आया. यहां तक कि समुद्र में तैरने वाले जहाज और उस क्षेत्र के ऊपर उड़ने वाले वायुयान भी ना जाने किस तरह अपना मार्ग बदल लेते हैं और ऐसी जगह गुम हो जाते हैं जहां से उनका वापस आना मुनासिब नहीं होता.
गहरे समन्दर के बीचोंबीच है एक ऐसा क्षेत्र जहां अबतक एक हजार लोग लापता हो चुके हैं!  हम बात कर रहे हैं ‘बरमूडा ट्राइएंगल’ की, एक रहस्यमयी जलक्षेत्र जो अटलांटिक सागर में स्थित है। कम ही लोग यह जानते हैं कि अमेरिका को खोजने वाले कोलम्बस का सामना भी बरमूडा ट्राइएंगल से हुआ था। कोलम्बस ही वह पहले नाविक-खोजकर्ता थे, जिनका सामना बरमूडा ट्राइएंगल से हुआ था। बरमूडा ट्राइएंगल में न जाने ऐसी कौन सी रहस्यमय शक्ति है जो बड़े से बड़े जहाज और हवा में उड़ते विमानों को भी अपनी ओर खींच लेती है और फिर पलक झपकते ही सब कुछ गायब हो जाता है।

बरमूडा ट्राइएंगल अबतक 100 से भी ज्यादा हवाईजहाजों को निगल चुका है, हैरानी की बात है कि यहां गायब होने वाले सैकड़ों लोगों की लाशें तक नहीं मिली है। पिछले 500 से सालों से रहस्यमय शक्ति का केन्द्र बने इस जलक्षेत्र के बारे में सबसे पहले कोलम्बस ने दुनिया को बताया था। जानकारों का मानना है कि जब कोलम्बस का जहाज बरमूडा ट्राइएंगल के करीब पहुंचा, तो उसके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने गड़बड़ी करना शुरु कर दी। इसके बाद उसके नाविकों में हड़कंप मच गया।

ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद कोलम्बस को आसमान से एक रहस्यमयी बिजली गिरती दिखाई दी और दिखाई दिया आग का एक बहुत बड़ा गोला, जो आसमान से निकलकर सीधे समुद्र में समा गया। कोलम्बस का जहाज जैसे-तैसे इस रहस्यमयी क्षेत्र से आगे तो बढ़ा लेकिन तब से लेकर अब तक करीब एक हजार लोग यहां लापता हो चुके हैं।

Lucknow Haunted Colony - Nirala Nagar

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Blame it on the government a decision to set up a colony in 1960 by Lucknow Improvement Trust over an area where there was a large crematorium, 2 graveyards, six mazaars, a peepal tree where the people deposited ashes of the dead and a lone temple. It invited trouble for the residents of Nirala Nagar. There are some houses here where something tragic happened with the owners. There is another area where widows stayed sans any trouble. Young people are hardly seen and the whole colony wears a look of moroseness.

Real Ghost Caught in Camera

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तस्वीरों में देखिए आत्माओं का सच :
"भूतप्रेत के होने का अहसास ही कितना भयावह होता है. जरा सोचिए आप कहीं अकेले जा रहे हैं और रास्ते में आपको यह अहसास होने लगे कि कोई है जो आपके साथ-साथ चल रहा है या दोस्तों के साथ मौज मस्ती 
करते हुए आपको किसी ना दिखने वाली शक्ति का आभास होने लगे तो आपकी क्या हालत होगी."

रात के अंधेरे में या एकांत स्थान पर आपको कभी-कभार किसी अनजानी ताकत के आसपास होने जैसा महसूस होता है. हालांकि कई बार पारलौकिक शक्तियों जैसे भूत-प्रेत और आत्माओं के होने के सबूत पेश किए गए हैं लेकिन विज्ञान ने इसे मात्र अफवाह बताकर हमेशा ही झुठलाया है. परंतु कहते हैं ना तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं. आज हम आपको अलग-अलग काल से जुड़ी कुछ ऐसी ही तस्वीरों के बारे में बता रहे हैं जिनमें अनजाने में ही कुछ आत्माएं कैद हो गईं. जिन्हें देखने के बाद वे लोग जो भूत-प्रेत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करते उन्हें एक बार दोबारा सोचना पड़ेगा.


 समरसेट (इंग्लैंड) में खींची गई यह तस्वीर महिला की है जिसे यह आभास भी नहीं था कि अपने जिस खुशनुमा पल को वह कैमरे में कैद करने जा रही है उसके साथ एक आत्मा भी तस्वीर में आ जाएगी. यह तस्वीर वर्ष 1987 में ली गई थी, जिसमें महिला के साथ ड्राइवर सीट पर एक धुंधली सी परछाई दिखाई दे रही है.

वर्ष 1975 में ली गई यह तस्वीर नॉर्फोल्क ( ब्रिटेन) के एक चर्च में प्रार्थना के दौरान ली गई है. एक वृद्ध महिला जब चर्च में प्रार्थना कर रही थी तब शायद उसे पता भी नहीं था कि उसके साथ कैमरे में कोई और भी कैद हो गया था.




1940 की एक शाम एक व्यक्ति अपने बच्चे की कब्र पर गया. अपने बच्चे की याद को अपने पास रखने के लिए उसने इस कब्र की एक तस्वीर ली लेकिन जब उसने इस तस्वीर को देखा तो वह हैरान रह गया और इस तस्वीर में उसके बच्चे की आत्मा नजर आ रही थी.






16 नवम्बर, 1968 के दिन रॉबर्ट ए फर्गुसन कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में गेस्ट लेक्चर दे रहे थे. वहां उनके छात्र तस्वीरें भी उतार रहे थे. लेकिन जब यह तस्वीर सामने आई तो रॉबर्ट यह देखकर हैरान रह गए कि उनके साथ उनके भाई की आत्मा खड़ी थी.

एक कब्रिस्‍तान जहां आज भी घूमते हैं पिशाच

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भूत, रूह या आत्‍मा का कोई एक ठिकाना निश्‍चीत नहीं किया जा सकता है। लेकिन दुनिया भर में कुछ ऐसी जगहें होती है, जिसे ये रूहें और आत्‍मा अपना ठिकाना बना लेती है। अभी तक आपने पुरानी इमारतों, और जहाजों पर रूहों के कब्‍जे के बारें में पढ़ा आज हम आपकों एक ऐसी कब्रिस्‍तान के बारें में बताऐंगे जहां पर वैम्‍पायरों का राज है। एक ऐसा कब्रिस्‍तान जिसे मौत के बाद मूर्दो को गहरी नींद में सोने के लिए बनाया गया लेकिन जो बन गया है वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा। हम बात कर रहे है। लंदन के हाईगेट कब्रिस्‍तान की। इस कब्रिस्‍तान में बहुत से लोगों ने वैम्‍पायर्स को देखा है जो कि आये दिन इस कब्रिस्‍तान में घुमते रहते है। अभी तक वैम्‍पायर्स के बारें में दुनिया भर में केवल अटकलें ही लगायी जाती है। लेकिन इस कब्रिस्‍तान में कई बार लोगों ने मौत के इन राक्षसों को महसूस किया है। आप खुद ही महसूस कर सकते है कि कोई भी ऐसी जगह जहां आप अकेले हो और कोई ऐसा साया जो आपके आस पास ही किसी मूर्दे के शरीर से खून पी रहा हो तो कैसा महसूस होगा। वैसे भी दुनिया भर में कब्रिस्‍तान का नाम सुनकर लोगों को भूत, प्रेत, और आत्‍माओं का ख्‍याल आ जाता है। कब्रिस्‍तान के बारें में बहुत से लोग यही मानते है कि वहां पर रूहो का होना लाजमी है। ये सच है क्‍योंकि रूहों का वास वहीं सबसे ज्‍यादा होता है जहां उसके साथ कोई हादसा हुआ हो या जहां उसका शरीर हो। लेकिन ये रूहे भी कभी किसी को परेशान नहीं करना चाहती है। ये भी अपनी दुनिया में अलग तरह से विचरण करती रहती है। आईऐ आज लंदन के उस कब्रिस्‍तान की सैर करें। हाईगेट कब्रिस्‍तान का इतिहास हाईगेट कब्रिस्‍तान उत्‍तरी लंदन में बनाया गया एक कब्रिस्‍तान है। यह काफी बड़ा और विशाल है। इस कब्रिस्‍तान में कई गेट है। दुनिया भर में सबसे बडे कब्रिस्‍तान के अलांवा यह कार्ल मार्क्‍स की कब्र के लिए भी दुनिया भर में विख्‍यात है। इस कब्रिस्‍तान को सन 1839 में शुरू किया गया था। उस समय लंदन एक विचित्र संकट से जुझ रहा था। लंदन में उस समय मृत्‍यु दर ज्‍यादा दी और आये दिनों लोगों की भारी संख्‍या में मौत हो रह‍ी थी। लोगों की हो रही लगातार मौतों के बावजूद भी लंदन में उन्‍हे दफनाने के लिए कोई जगह नहीं बची थी। इसी समस्‍या से उबरने के लिए लंदन के उत्‍तरी छोर में इस हाईगेट कब्रिस्‍तान का निर्माण किया गया। इस कब्रिस्‍तान के निर्माण के पहले जगह की किल्‍लत के चलते लोग मूर्दो को अपने घर के आस पास ही गलियसारों में दफन कर दे रहे थे जो कि बहुत ही भयावह स्‍ि‍थती थी। रास्‍तों में दफन मूर्दो से भयानक बदबू आती थी। इस समस्‍या से उबरने के लिए अधिकारियों ने इस कब्रिस्‍तान का निर्माण कराया था। हाईगेट की संरचना और आकार हाईगेट उस समय दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित कब्रगाह था। यह कब्रिस्‍तान 37 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और उत्‍तरी लंदन के बीचों बीच बनाया गया है। इस कब्रिस्‍तान में एक घंटा घर और ट्यूडर शैली का प्रयोग किया गया है। इसकी इमारतों में शानदार लकडियों का इस्‍तेमाल किया गया है। इस कब्रिस्‍तान मे मिश्र की शैली का भी पुरा प्रयोग किया गया है। इस कब्रगाह के लिए भी आया जिसके लिए इसका निर्माण किया गया था, पहली बार इस कब्रिस्‍तान में 26 मई 1839 को लिटील विंडमिल स्ट्रिट की एलिजाबेथ जैक्‍सन को दफनाया गया, और इसी के साथ सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है। कब्रिस्‍तान में वैम्‍पायर्स यह कब्रिस्‍तान बहुत ही बड़ा है और इसमें न जाने कितने लोग दफन है। जहां पर एक साथ जमीन में इतने लोग दफन होंगे वहां रूहों और आत्‍माओं का दिखना तो लाजमी ही होगा। इस कब्रिस्‍तान में भी बहुत सी ऐसी रूहे है जो गाहें बगाहें लोगों को दिख जाती है। कई बार लोगों को इसका आभास होता है और उनके साथ कोई हादसा हो जाता है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार वैमपायर्स को देखा गया है और उन्‍हे महसूस किया गया है। सबसे पहला मामला जो प्रकाश में आया था वो था सन 1970 में जब स्‍कूल की दो छात्राओं ने कब्रिस्‍तान के ए‍क किनारें एक वैम्‍पायर कों बैठा देखने का दावा किया था। उन दोनों छात्राओं का कहना था कि जब वो स्‍कूल से लौट रही थी और जब वो कब्रिस्‍तान के पास पहुंची तो उस समय शाम हो गयी थी और हल्‍का हल्‍का अंधेरा शुरू हो गया था। उसी समय उन्‍हे कुछ अजीब सी आवाज सुनायी दी जो कि कब्रिस्‍तान के तरफ से आ रही थी। उस समय जब उन्‍होने कब्रिस्‍तान की तरफ देखा तो वहां एक आदमी जैसा कोई बैठा और कब्र से शव को निकाल कर उनका खुन पी रहा था। इसके अलांवा इस हादसें के एक हफ्ते बाद ही एक और मामला प्रकाश में आया जहां एक प्रेमी जोड़ ने भी एक वैम्‍पायर को देखन की बात कहीं। उनका कहना था कि वो दोनों कब्रिस्‍तान के तीसरे गेट की तरफ से रात में गुजर रहे थे उसी वक्‍त उन्‍होने एक बहुत ही बड़े आदमी को देखा जो कि सामान्‍य लंबाई से बहुत ज्‍यादा था उसका चेहरा अंधेरे के कारण देख नहीं पाया गया लेकिन उसके चेहरे का आकार और बनावट मनुष्‍यों से अलग थी। उनका कहना था कि शायद उस अजीब से साये ने उन्‍हे देख लिया था और वो उन्‍ही के तरफ धिमें धिमें बढ रहा था। इतना देख दोनों वहां से भाग गये। इस तरह की कई घटनाए है जो कि हाईगेट कब्रिस्‍तान में देखने को मिली है। कई बार लोगों ने इस महसूस किया है। इस कब्रिस्‍तान से होकर जाने वाले सड़क पर कई बार लोगों की दुर्घटनाए भी हुयी है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार कब्रों से लाशों के गायब होने का भी मामला सामने आ चुका है। आज भी इस कब्रिस्‍तान में आसानी से रूहों और आत्‍माओं को महसूस किया जा सकता है।

चंगी अस्‍पताल, जहां आज भी जिंदा है रूहें

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दुनिया में रूहों, आत्‍मओं के बारें में बहुत सी भ्रांतिया विकसित है, कई लोगों ने इनका आभास किया है तो कई लोग इन्‍हे देखने का भी दावा करते हैं। इन रूहों का अस्‍तीत्‍व में कीतनी सच्‍चाई होती हैं इसके बारें में लोग अलग-अलग राय देतें है। लेकिन क्‍या हो तब जब आप किसी ऐसी जगह पर जाएं जिसके बारें में आपने बहुत कुछ सुन रखा हो और उस जगह पर आपकी किसी ऐसी ही अदृश्‍य शक्ति से हो जाये। रूहो,आत्‍माओं या फिर किसी भी अदृश्‍स शक्ति, जैसा कि आपकों पूर्व के लेखों में बताया गया है कि इनका शारिरीक रूप से कोई अस्‍तीत्‍व नहीं होता हैं। लेकिन ये बेमिशाल शक्ति की मालिक होती है। जरा सोचिए जब कोई बगैर शरीर के इतना शक्तिशाली हो कि वो आपकों अपने होने का आभास करा देंता हो वो वास्‍तव में कितना भयानक होगा।

रूहों के बारें में लोगों के दिमाग में कुछ सवाल हमेशा कौंधतें है कि वो हमेशा एकांत में ही क्‍यों रहती हैं? या फिर वो सामने क्‍यूं नहीं ? वगैरा वगैरा। हम आपकों बतां दें कि उन्‍हे हमारे सामने आने में कोई समस्‍या नहीं होती है। दोष हमारे आंखों में होता है वो दुनिया के हर कोनें में हर समय मौजूद रहती हैं। बस हम उन्‍हें देख नहीं पातें। उनकी उपस्थिती का अंदाजा आप इसी से लगा सकतें है कि वो शायद इस समय यह लेख पढ़तें समय भी आपकें आस पास मौजूद हो सकती हैं।

ए‍क बात इनके बारें में कहीं जाती है कि जब इनके बारें में सोचा जाता है, या फिर इन्‍हे याद किया जाता है तो ये और शक्तिशाली हो जाती है और आपके सामने आ सकती हैं। एक सवाल और जो कि अमुमन लोगों के दिमाग में आता है कि इन आत्‍माओं का जन्‍म कहां से होता हैं। तो मै आपको बता दू कि रूहों का जन्‍म जीवों की मौत के बाद होता हैं। रूहें या आत्‍माएं केवल इंसानों की ही नहीं होती हैं ये जानवरों की भी होती हैं। जहां तक रहा सवाल इनके आकार या फिर संरचना का तो वो सदैव विचित्र ही होता है जैसा कि हम इंसान पहले कभी नहीं देखें होतें हैं।


आज हम आपकों अपने इस सीरीज के इस लेख में सिंगापूर के एक ऐसे अस्‍पताल के बारें में बताऐंगे जो कि जापानी सैनिकों के इलाज के लिए बनाया गया लेकिन वो उनकी कब्रगाह बन गया। आइऐं चलतें है मौत की उस भयानक सफर पर जहां हम आपकों बताऐंगे पुराने चंगी अस्‍पताल के बारें में। चंगी अस्‍पताल का इतिहास चंगी अस्‍पताल का निर्माण सन 1930 में कराया गया था। यह अस्‍पताल नार्थवन रोड के किनारे चंगी गांव के पास बनाया गया था इसीलिए इसका नाम चंगी अस्‍पताल पड़ गया। उस समय इस यह एक मिलीट्री अस्‍पताल हुआ करता था। द्वितीय विश्‍व युद्व के दौरान सिगापुर के चंगी गांव के आस-पास जापानियों का कब्‍जा हो गया था। उस समय हजारों की संख्‍या में जापानी सैनिक इस अस्‍पताल में लायें गये थे। इस अस्‍पताल में उन सैनिकों का इलाज किया जाता था। इलाज के दौरान इस अस्‍पताल में सैनिकों को उपचार देने के लिए पर्याप्‍त साधन मौजूद नहीं थी। इसके अलांवा रोजाना सैकड़ों की संख्‍या में घायल जवानों के आनें का सिलसिला जारी था। उस समय इस अस्‍पताल में नर्स, चिकित्‍सक और कुछ सुरक्षाकर्मी भी थे। सैनिक इतने ज्‍यादा घायल होतें थें कि उनको बचाना कठिन होता था और देखते देखते हजारों की संख्‍या में जवानों की मौत होनें लगी। अस्‍पताल में हो रही इन मौतों के कारण अस्‍पताल में एक भयानक बिमारी ने जन्‍म ले लिया और यह बिमारी अस्‍पताल के स्‍टाफ में भी फैल गयी। इस अस्‍पताल में काम करने वालें दो नर्सो की भी बिमारी के चलते मौत हो गयी। इसके अलांवा एक चिकित्‍सक की भी मौत हो गयी।

यह अस्‍पताल एक बहुत ही विशाल भवन था, इसमें कई ब्‍लाक थे। साथ ही इसमें बहुत ढेर सारे वार्ड भी थे। अस्‍पताल में रूहों का बसेरा लगातार हो र‍ही मौतों के कारण यह अस्‍पताल उस समय एक मनहूस जगह बन चुकी थी। उस समय जो जवान घायल अवस्‍था में लायें गये थे उसमें से बहुत कम ही जिंदा वापस जा सके थे। ज्‍यादातार जवानों की वहीं पर मौत हो गयी थी। जिसके कारण उस अस्‍पताल में मर चुके जवानों की रूहे भटकने लगी और देखते देखते कुछ दिनों में वहीं उनका बसेरा हो गया। उस समय से लेकर आज तक उन जवानों की रूहों को उस अस्‍पताल में साफ महसुस किया जाता हैं। जवानों के लाशों को उस समय अस्‍पताल के पिछे एक ब्‍लाक में जिसे मर्च्‍यूरी कहा जाता था, वहां रखा जाने लगा। रोजाना सैकड़ों लाशें लायी जाने लगी और मौत का तांडव शुरू हो चुका था। अस्‍पताल के दूसरे माले पर कई बार रात में लोगों ने एक वृद्व व्‍यक्ति का साया देखा इसके बारें में अस्‍पताल प्रबंधन को भी बताया गया लेकिन इस मामलें पर किसी ने भी ध्‍यान नही दिया। एक बार एक व्‍यक्ति दूसरे माले से अचानक गिर गया और वो बुरी तरह जख्‍मी हो गया जब अस्‍पताल में उसका इलाज किया जा रहा था। उस वक्‍त उसने बताया कि उसे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने उसे बलपूर्वक धक्‍का दे दिया हो और कुछ दिनों बाद उस व्‍यक्ति की मौत हो गयी। उसके उसके बाद से दूसरे माले पर लोग अकेले जानें में डरने लगे। कई लोगों ने दावा किया कि उस माले पर किसी के ठहाके लगा कर हंसने की भी आवांजे आती हैं। अस्‍पताल में एक नर्स का साया अस्‍पताल में एक नर्स का साया भी बहुचर्चित हैं। एक बार एक जवान का इलाज करते समय एक नर्स से कुछ गलती हो गयी। उस समय जवान गुस्‍से में उसे बुरी तरह मारने पीटने लगा। उस समय वो नर्स पेट से गर्भवती थी और उस जवान ने पैर से उसके पेट पर भी वार कर दिया। पेट पर वार करते ही वो नर्स जमीन पर तड़पने लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। तब से लेकर आज तक कई बार उर्स नर्स के साये को वहां देखा गया हैं। उस नर्स का साया आज भी कभी जमीन पर रेंगती है और खुद को बचाने का गुहार लगाती हैं। कभी कभी वो अपने हाथ में एक खंजर लिए घुमती हैं। एक व्‍यक्ति ने दावा किया कि वो जब अस्‍पताल के तीसरे माले पर गया था तो उसने वैसी ही एक महिला का साया देखा था और जब उसने उसके करीब जाने की कोशिश की तो वहां पर महिला, और बच्‍चे की रोने की आवाज आने लगी जिसके कारण वो वहां से भाग खड़ा हुआ।

अस्‍पताल में जिंदा चौकीदार चौकिदार का भूत, इस अस्‍पताल में कहीं भी मिल जाता हैं। इस चौकीदार के बारें में कई लोगों ने दावा किया है कि उन लोगों ने उससे बात भी की हैं। कुछ ऐसा ही मामला दो भाईयों के साथ भी हुआ था। दोनों भाई अपने स्‍कुल से वापस लौट कर इस अस्‍पताल में घुमने के लिए आयें थे। अस्‍पताल के गेट पर आकर उन्‍हाने अपनी बाइक खड़ी की और अस्‍पताल के अंदर दाखिल हो गये। अभी वो कुछ ही दूर गये थे कि तभी अस्‍पताल का चौकीदार उनकी पास आ गया। चूकि दोनों भाई पहली बार उस अस्‍पताल में आयें थे और पुरा अस्‍पताल विरान था तो उन दोनों भाईयों ने उससे बातें करनी शुरू कर दी। जब वो कुछ दूरी पर बात करते गये और दूसरे माले पर पहुंचे तो चौकिदार ने एक भाई का हाथ पकड लिया और कहा कि बस बहुत घुम लिया तुम लोगों ने अब घर जाओं। जैसा कि दोनों भाईयों ने बताया कि उस आदमी के पास से भयानक बदबू आ रही थी, और उसकी आवाज भी काफी भारी थी। जब उसने ये बात कही तो हम डर गये क्‍यूंकि कई बार हम लोगों ने उस अस्‍पताल के बारें में सुना था और अंधेरा भी हो रहा था। इसलिए हम वापस आने लगे। जब हम वापस आ रहे थे तो हमने चौकीदार से पुछा कि आप कहां रहते हैं। तो चौकीदार ने उसी तरफ इशारा किया जिधर उसने हमे जाने से रोका था। फिर हमने पुछा कि आप यहां क्‍या करते है तो उसने बताया कि मै कई सालों से इस अस्‍पताल में लोगों की सेवा करता हूं। लेकिन मुझे बहुत दुख है कि यह अस्‍पताल अब बंद होग गया हैं। लेकिन मै इसे नहीं छोड सकता इतना कह कर वो सिडीयों से निचे उतरने लगा। हम दोनों उसके पीछे पीछे नीचे उतरे लेकिन वो नीचे कहीं भी नहीं था। इतना देखकर हम दोनों वहा से निकल गये और बाइक के पास आ गये हम दोनों काफी डरे हुए थे, और जल्‍दी जल्‍दी में बाइक का लाक भी नहीं खोल पा रहे थे। इसी समय एक भाई की नजर दूसरे के हाथ पर पड़ी जिसका हाथ को उस चौकीदार ने पकड़ा था। उसके कलाई पर एक काला निशान बन गया था। इतना देखते ही दोनों घबरा गये और वहां से भाग निकले। इस अस्‍पताल में चारों तरफ रूहों का कब्‍जा हैं। कभी भी आप इन रूहों को महसूस कर सकते है। लेकिन इस अस्‍पताल में अकेले घुमने नहीं दिया जाता हैं। क्‍योकि ऐसा माना जाता है कि कई बार रूहो को अहसास मात्र से कई लोगों के साथ हादसें हो गये हैं। विशेषकर दूसरे माले पर वहां से अब तीन लोगों की अपने आप ही गिरने से मौत हो गयी हैं। यदि आपकों इन्‍हे महसूस करना है तो कभी भी अकेले न जायें। (Click For English Version)

एक गांव जो सैकड़ों सालों से है भूत के साए में!

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यह गांव है राजस्थान के जैसलमेर जिले का कुलधरा गांव| कहा जाता है कि यह गांव पिछले दो सौ सालों से  रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है| प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता|
जैसे -जैसे लोगों के कदम इस गांव के भीतर बढ़ते हैं यहां का तापमान लगातार कम होता जाता है यहां तक कि कई जगह यह तापमान माइनस में भी पहुंच जाता है| इन खंडहरों की दीवारों से आने वाली तरह-तरह की आवाजें रौंगटे खड़े करने वाली होती हैं| ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये आवाजें हमें वहां से चले जाने का आदेश दे रही हैं|
लोग कहते हैं कि इस गांव में भूतों का बसेरा है| पिछले दो सौ सालों से यह गांव किसी श्राप और बद्दुआ में फंसा हुआ है| ऐसा कहा जाता है कि  गांव का यह वीराना एक दीवान के पाप के कारण है, यह गांव आज तक नहीं बस पाया उसके पीछे पालीवाल ब्राह्मणों का श्राप है जो उन्होंने राजा के पाप करने पर दिया था|
क्या है इस वीराने की कहानी:
आज एक वीरान खंडहरों में तब्दील हो चुका गांव बारहवीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों की राजधानी हुआ करता था, जिसकी सम्रद्धि के चर्चे पूरे राजस्थान में थे|यहां की इमारतों की वास्तुकला मन को मोहने वाली हुआ करती थी, आज भी यहां के खंडहरों की नक्कासी देखकर उन पालीवाल ब्राह्मणों की सम्रद्धि का अंदाज़ा लगाया जा सकता है| कहा जाता है कि पालीवाल ब्राह्मणों  की यह सम्रद्धि जैसलमेर के दीवान सालेह सिंह को फूटी आंख ना भाई और उसने कुलधरा सहित आस पास के चौरासी गांवों पर भारी कर ठोक दिया|
पालीवाल ब्राह्मणों ने इसका खुलकर विरोध किया| लेकिन अन्याय यहीं ख़त्म नहीं हुआ, अय्यास सालेह सिंह की नज़र कुलधरा की एक बहुत ही खूबसूरत लड़की पर पड़ी और वह उसे अपने हरम में लाने के लिए कुलधरा पर जोर देने लगा, लेकिन पालीवाल ब्राह्मणों ने साफ़ इनकार कर दिया, गुस्साए सालेह सिंह के अत्याचार बढ़ते गए|
एक दिन पालीवाल ब्राह्मणों ने तय किया कि वे इस गांव को छोड़कर कहीं और चले जायेंगे और एक रात वे गांव छोड़कर चले गए और जाते- जाते श्राप दे गए कि अब यह गांव कभी नहीं बसेगा| उसी श्राप के कारण आज कुलधरा का यह हाल है|

Ghost In Bihar

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THIS IS A RECORDED STORY . THIS STORY IS BASED ON KHAGRIYA DISTRICT NEAR BARAWNI IN BIHAR IN INDIA.RECORDED FROM 93.5REDFM.

The City of Djinns

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'The City of Djinns' जिन्नों के शहर दिल्ली में

Nizamuddin's Tomb, Delhi, India
विलियम डेलरिम्पल द लास्ट मुगल के कारण चर्चा में रहे। बरसों पहले उन्होंने दिल्ली पर सिटी ऑफ जिन्स(जिन्नों का शहर), ए ईयर इन दिल्ली नामक पुस्तक लिखकर ख्याति अर्जित की थी। उसके बाद दिल्ली के इतिहास से जैसे उनको प्यार हो गया। उनकी व्हाइट मुगल नामक पुस्तक की पृष्ठभूमि भी दिल्ली ही है।

दिल्ली में खंडहरों ने मुझे बहुत आकर्षित किया। शहर नियोजकों ने कंक्रीट की नई बस्तियाँ बसाने की बड़ी कोशिशें कीं, लेकिन उनके बीच किसी चौराहे पर, किसी पार्क में पुरानी ढहती मीनारों, पुरानी मस्जिदें या मदरसों के दर्शन हो ही जाते हैं। इसकी फ़सीलें अनेक राजवंशों की क़ब्रिस्तानों पर खड़ी हैं। कुछ लोगों के अनुसार दिल्ली शहर सात बार बना-उजड़ा। यह आठवाँ है। कुछ लोग इसकी संख्या पंद्रह मानते हैं तो कुछ इसकी संख्या इक्कीस तक ले जाते हैं। वैसे इस बात को लेकर सब सहमत हैं कि इस शहर के ढहते खंडहरों की संख्या असंख्य हैं।

लेकिन दिल्ली इस मामले में अनूठा है कि इस शहर में इधर-उधर इंसानी खंडहर भी बिखरे हुए हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों ने अलग-अलग शताब्दियों के वजूद को संभाल कर रखा है, यहाँ तक कि अलग-अलग सहस्त्राब्दियों को भी। आज के लिए उसकी कसौटी पंजाबी शरणार्थी हैं, छोटी मारुति कारों और हर नई चीज़ की ओर आकर्षित होने वाले, उन्होंने अस्सी के दशक में दिल्ली की जीवनरेखा बनाई। लोदी गार्डेन में टहलते आपको ऐसे बुजुर्ग मिल जाएँगे जिनकी बातचीत, शैली से आपको यह अहसास हो जाएगा कि वे 1946 में ही फँसे हुए हैं यानी भारत की आज़ादी से पहले के दौर में। पुरानी दिल्ली के हिजड़े, उनमें से कुछ तो दरबारी उर्दू बोलते हैं, महान मुगलों की छाया में वे भी इस शहर में बेगाने नहीं लगते। निगमबोध घाट के साधुओं के बारे में मैंने कल्पना की कि वे इंद्रप्रस्थ के बेचारे नागरिक हैं, महाभारत की पहली दिल्ली के।

महीनों बाद जब मेरी मुलाकात पीर सदरुद्दीन से हुई तब जाकर मुझे उस रहस्य का पता चला जिससे दिल्ली में बार-बार जान लौट आती थी। दिल्ली, पीर सदरुद्दीन ने बताया, जिन्नों का शहर है वैसे तो आक्रमणकारियों ने इसे कई बार जला डाला, मगर यह शहर फिर बस गया, फीनिक्स पक्षी की तरह यह अपनी ही आग से बार-बार पैदा होता रहा। जैसी कि हिंदुओं में मान्यता है शरीर का तब तक पुनर्जन्म होता रहता है जब तक कि उसे मोक्ष नहीं मिल जाता, उसी तरह दिल्ली की किस्मत में हर शताब्दी में नए अवतार में प्रकट होना बदा था। इसका कारण यह है, सदरुद्दीन ने बताया, कि जिन्नों को दिल्ली से इतना प्यार है कि वे इसे खाली या उजाड़ नहीं देख सकते। आज भी वे हर घर में, सड़क के हर नुक्कड़ पर मौजूद हैं, बस आप उनको देख नहीं सकते, सदरुद्दीन ने बताया।

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उस साल गर्मियों में दिन की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद शाम को चलने वाली हवाओं से मौसम की गर्मी जब कुछ कम हो जाती तब मैं और ओलिविया(लेखक की पत्नी) अक्सर टहलते हुए निज़ामुद्दीन दरगाह चले जाते। वहां हम कव्वाली सुनते और तीर्थयात्रियों से बातें करते।

यह समझने में मुझे देर नहीं लगी कि दरगाह पर आने वाले ज्यादातर तीर्थयात्रियों के लिए निज़ामुद्दीन सदियों पहले मर जाने वाले औलिया नहीं थे, वे उन्हें अभी भी जीवित शेख समझते हैं, जिनसे मदद और सलाह अभी भी ली जाती है। एक बार कव्वाली सुनते हुए मैंने डॉ. जाफरी से पूछा कि क्या ऐसा सामान्य तौर पर माना जाता है।

पीर-पैगंबर कभी मरते नहीं, उन्होंने कहा। हमारा शरीर-आपका शरीर तो गल जाएगा। लेकिन पीरों के साथ ऐसा नहीं होता। वे बस परदे के पीछे ओझल हो जाते हैं।

लेकिन आप यह सब कैसे जानते हैं, मैंने पूछा।

बस अपनी आँखों का इस्तेमाल कीजिए! अपने आसपास देखिए, डॉ. जाफरी ने कहा। इस अहाते में एक बादशाह की मजार है- मोहम्मद शाह रंगीला की और एक शाहजादी की भी मजार है- जहांआरा की। सड़क की दूसरी ओर एक और बादशाह का मकबरा है- हुमायूं का। ये दोनों मकबरे निज़ामुद्दीन के मकबरे से ज्यादा खूबसूरत हैं, लेकिन उनको देखने कौन जाता है! केवल सैलानी। जो हँसते हैं, आईसक्रीम खाते हैं और जब मकबरे के अंदरख़ाने जाते हैं तो जूते उतारने के बारे में सोचते भी नहीं हैं।

जबकि यह जगह अलग तरह की है। निज़ामुद्दीन की दरगाह पर किसी को बुलाया नहीं जाता। यह एक गरीब आदमी की मज़ार है जो गुरबत में मरा। तो भी यहाँ हजारों लोग रोज़ आते हैं, अपने आँसू और जीवन की सबसे बड़ी उम्मीद लेकर। कुछ तो है कि लोग निज़ामुद्दीन के गुजरने के छह सौ साल के बाद उसकी दरगाह पर आ रहे हैं। जो भी यहाँ आता है उसे औलिया की मौजूदगी यहाँ बड़ी शिद्दत से महसूस होती है।

निज़ामुद्दीन के दीदार आपको तभी हो सकते हैं जब आपका दिल साफ हो, एक दिन हसन अली शाह निज़ामी ने बताया, जब एक शाम हम मज़ार की फर्श पर बैठे थे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इबादत में कितनी तासीर है। कुछ उन्हें मज़ार पर बैठा देखते हैं। कोई यह देखता है कि वे दरगाह का चक्कर लगा रहे हैं। किसी को वे सपने में दीदार देते हैं। इसका कोई बंधा-बंधाया नियम नहीं है। चूँकि वे मिट्टी के इस तन से आजाद हो चुके हैं इसलिए हमारे बंधनों का उनके ऊपर कोई असर नहीं होता।

क्या आपने उनको कभी देखा है, मैंने पूछा।

अपनी इन आँखों से नहीं, निज़ामी ने जवाब दिया। लेकिन कभी-कभी जब मैं किसी इंसान का इलाज कर रहा होता हूँ या किसी बदमाश जिन्न को भगा रहा होता हूँ तब मैं उनका नाम पुकारता हूँ और तब मुझे उनकी मौजूदगी महसूस होती है...ऐसा है जैसे मैं कोई बाँसुरी होऊँ, अपने आपमें कुछ भी नहीं।

निज़ामी ने यह बताने के लिए कि निज़ामुद्दीन किस तरह अपनी दरगाह की देखभाल करते हैं यह किस्सा सुनाया। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि केवल पीरज़ादे ही अपने पूर्वजों की मज़ार की सफाई कर सकते हैं। एक रात जिस मुहाफिज़ की बारी थी वह पास में ही खेले जा रहे एक नाटक को देखना चाहता था, इसलिए उसने मज़ार की सफाई का जिम्मा अपने एक दोस्त को सौंप दिया। जब पीरज़ादा लौटकर आया तो उसने देखा कि उसका दोस्त चित्त पड़ा है और झाड़ू उसके हाथ में ही है। उसने अपने साथियों को आवाज़ देकर बुलाया और सबके साथ मिलकर उसे खींचकर बाहर लाए, उसके चेहरे पर पानी के छींटे डाले। उसने बताया कि किस तरह उसने मज़ार की सफाई शुरू की कि उसने देखा मज़ार से एक बड़ी तेज़ रोशनी उठी और वह गिर गया। उसे इसके बाद कुछ भी याद नहीं। पीरज़ादे को अपनी गलती का अहसास हो गया।
 

भूत टहलते हैं चीन की दीवार पर

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भूत टहलते हैं चीन की दीवार पर
(The Great Wall of China)

दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक चीन की दीवार भूतों के साये में है। सुनने में यह कुछ अटपटा लग सकता है लेकिन कई लोगों ने इसका अनुभव भी किया है। द डेस्टिनेशन ट्रूथ नामक एक संस्था के कुछ सदस्यों ने बीजिंग के उत्तर की ओर स्थित द ग्रेट वॉल ऑफ चाईना का सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण के दौरान उनके साथ कुछ ऐसी रहस्यमय घटनाएं हुईं, जिनके आधार पर उन्होंने माना कि इस दीवार पर कुछ अदृश्य शक्तियों का साया है।
बीजिंग के उत्तर की ओर स्थित दीवार को 'वाइल्ड वॉल' कहा जाता है। बीते कई सालों से इस वॉल के आस-पास पर्यटकों को विचित्र अनुभव होते रहे हैं। कहा जाने लगा कि इस दीवार पर भूत टहलते हैं। इसी अनुभव को परखने के लिए द डेस्टिनेशन ट्रूथ संस्था के कुछ लोगों ने परामनोवैज्ञानिकों के साथ वाइल्ड वॉल की यात्रा की।


जब वे चीन की दीवार के उस हिस्से में पहुंचे तो उनका सामना भी अजीबो-गरीब अनुभवों से हुआ। उन्हें रात में अपने आस-पास किसी के चलने की आवाजें सुनाई दी। कुछ सदस्यों ने कैंप में जलाये जाने वाले आग की गंध महसूस की। जब वे उस दिशा में गए तो देखा कि वहां पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा था।


द डेस्टिनेशन ट्रूथ के सदस्यों ने अपने आस-पास कुछ साये भी महसूस किये। टीम का एक सदस्य रेक्स विलियम अचानक गिर पड़ा। जोश गेट्स नाम के एक व्यक्ति ने महसूस किया कि किसी ने उसे पीछे से कसकर पकड़ लिया है। इसके बाद उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि उसकी पीठ पर टंगे बैग का बटन किसी ने खोला और तलाशी शुरु कर दी।


माना जाता है कि वॉल के निर्माण के समय कई मजदूरों की मौत हो गयी उनकी आत्मा यहां भटकती है। आसपास के इलाकों में इस दीवार से जुड़ी कई कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। उनके मुताबिक इस दीवार के पास रक्षा के लिए कई सैनिक कैंप थे। चीन पर आक्रमण करने वालों से लड़ाई के दौरान यहां बहुत से सैनिक मारे गये। कहते हैं कि इन सैनिकों की आत्मा यहां आज भी भटकती है।

 

UFO's

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Haunted Bungalow ! ! ! ! Lohaghat, Uttarakhand

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Haunted Bungalow ! ! ! ! Lohaghat, Uttarakhand


Lohaghat, Uttarakhand: Located at the foot of the mighty Himalayas is the beautiful state, undisputed in terms of it's natural beauty and grandeur, called Uttarakhand . Lohaghat, located in the Champawat district, of the same state is famous for its ghostly hauntings in a Bungalow called as 'The Abbey' . Readers would also be interested to know that this was the same district where the famous hunt
er turned conversationalist Jim Corbett began his career of hunting down man-eating Tigers and Leopards.

Coming back to our story, the bungalow named 'Abbey' was constructed in the early 1900's and named after the owner. This bungalow was then converted into a hospital and that's when the spooky experiences began to manifest themselves. Strange on-goings prompted everyone to raise their levels of suspicion. The most apparent and intriguing episode consisted of a doctor, who could accurately predict a patient's death. He would then transfer such patients to his house called 'Mukti Kothri' , where in the dead body of the patient would be found the very next day! Naturally, rumors were rampant as to whether, were these cold-blooded murders? or were the deaths due to natural causes? or was the doctor indeed remarkable in predicting death with such precision and accuracy? Well! No one could actually figure out the exact reason, however gossip went flying fast and high that since 'The Abbey' was the first house to have come up in the region, this could have angered the gods residing on the hill-tops. And as if to support the local rumors and gossip, it's believed that due to the wrath of the gods that next-to-nothing development of the region has taken place, to this day! Hence the place never really prospered.

Lots of ghostly sightings including the ones called 'Bhoot Ki Daang - where in 2 ghostly figures are seen walking on the road holding hands', continue to this very day. Lohaghat, apart from its unparalleled natural beauty does offer the adventurers and thrill seekers a good reason for an exciting visit!
 

 

The National Museum Chowringhee Road

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The National Museum Chowringhee Road
The National Museum Chowringhee Road:- The museum was transferred to it¡¯s current location in 1878 with two galleries. Now the gigantic building holds close to sixty galleries of art inside its premises. The place is a well known haunted location of the city. People have heard a lot of sounds made by the traditional anklets worn by women during dance performances.also dragging of heap of clothes can be heard sometimes,a real mummy from egypt lies in this museum.It is believed that the owner of the properties which lies at the residence guards them from thieves. Directors or the organization, past and present, have refuted all these claims.

South Park Street Cemetery

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South Park Street Cemetery
South Park Street Cemetery

South Park Street Cemetery : Today, The South Park Street Cemetery is one of the famous tourist spots in Kolkata, The tall lush green trees, century old tombs and peaceful surrounding attracts various tourists and locales as well. Most of the graves here belong to British Soldiers. The cemetery is one of the oldest burial grounds of the city. It was constructed in 1767 and now believed to be haunt
ed. The reports of the cemetery being haunted and spooky are not in numbers, but there are a few who claim to have experienced something unusual after visiting the place. One report says that while visiting the place a group of friends clicked pictures and later they found a weird shadow shaped like a fist in front of the lens. Soon the weird things started happening with each of them, the one who clicked the picture had an asthma attack and surprisingly he wasn't and isn't asthma patient and the other had sever dizziness etc.

South Park Street Cemetery Satellite View

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Satellite View of South Park Street Cemetery Kolkata.. haunted place

Calcutta’s South Park Street Cemetery

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Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery

Calcutta’s South Park Street Cemetery

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Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery

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Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery
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Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery
Calcutta’s South Park Street Cemetery

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