Welcome to Real Ghost Stories(भूतो की कहानियाँ )
Mano Ya Na Mano Release on dated 23rd August 2012, Real Ghost Stories (भूतो की कहानियाँ )Mano Ya Na Mano providing a fresh source of first hand images,information,and research into the world of the paranormal,it contains an ever growing collection of first hand, true ghost stories, classic photographs and images.

Real Ghost Stories – The Devil and his demons, ghosts, vampires, ghouls, evil human and animal spirits all walk the Earth freely to this very day. The reports by psychics and common people from all corners of the planet are unanimous—Ghosts are real. Some of them are evil, cunning, and manipulative while others are benign.

Do YOU believe in Ghosts? Do you think we, the believers, are weird or strange? Read on and you might just assent to our belief.

We, the people who believe, know there are many unsolved mysteries in this world. Those who don't believe say there are no such things as ghosts, spirits, demons, vampires, haunting, and so on, but rather strangely, will likely never agree to sleep alone in a graveyard at night. And some are even paranoid of the dark. What gives?

Well, I hope you will give me and my fellow believers a chance to convince you about the "cosmic unknown".

Since you are still here, good, at least you are curious. Or maybe, there is more to your curiosity than you care to admit. Please share with us if you dare.


Anyway, I want to thank all those who have sent me their stories. There have been hundreds of stories, and I can't possibly edit them all in the near future, so I ask you to be patient and to keep sending your stories. Some of the stories may not be featured on this website but may end up in my upcoming post.

Vampire History - Part - II

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पैशाचिकी की धारणा सदियों से अस्तित्व में रही है; जैसे कि मैसोपोटामिया, हिब्रू, प्राचीन यूनानी और रोमन संस्कृतियों की कहानियों में दानवों और प्रेतात्माओं को आधुनिक पिशाचों का अगुआ माना जाता.हालांकि पिशाच जैसे प्राणियों के उद्भव की घटना इन प्राचीन सभ्यताओं में होने के बावजूद लोककथाओं के आधार पर इनकी सत्ता के बारे में आज हम जानते हैं कि पिशाचों की उत्पत्ति विशेष रूप से 18वीं सदी में दक्षिण-पूर्व यूरोप में हुई, जब उस क्षेत्र के जातीय समूहों के मौखिक परंपराओं को लिपिबद्ध और प्रकाशित किया गया. अधिकतर मामलों में पिशाचों को बुरे प्राणियों, आत्महत्या के शिकार या चुड़ैलों के भूत-प्रेत के रूप में माना गया लेकिन इतना सृजन अपकारी प्रेतात्माओं के द्वारा भी संभव है जिनके कब्जे में कोई लाश है या जिन्हें किसी पिशाच ने काट लिया है. ऐसी लोककथाओं में विश्वास इतना व्यापक हो गया कि कुछ क्षेत्रों में इसने सामूहिक उन्माद को जन्म दिया और पिशाच समझे जाने वाले लोगों को सार्वजनिक फांसी भी दी गई

लोककथात्मक पिशाच का एक निश्चित विवरण देना कठिन है, हालांकि यूरोपीय लोककथाओं में ऐसे अनेक तत्व हैं जो सर्व सामान्य हैं. पिशाचों के बारे में ऐसी रिपोर्ट थी कि वे आमतौर पर देखने में फूले हुए रक्ताभ या पीले बैंगनी अथवा काले रंग जैसे उनकी इन चारित्रिक विशेषताओं को अक्सर आजकल के रक्त पीने की घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. वास्तव में, अक्सर कफ़न में लिपटे या ताबूत में लेटे शव के नाक और मुंह से खून रिसता हुआ देखा गया और बायीं आंख को अक्सर खुला हुआ पाया गया. यह झीने पारदर्शी कफ़न में लिपटा हुआ कब्र में दफ़न, जिसके दांत, बाल और नाखून बड़े हो गए हो सकते थे, जबकि आमतौर पर ऐसे नुकीले दांत नहीं देखे जाते थे.

पिशाच की पहचान करना

पिशाच की पहचान के लिए अनेक व्यापक धर्मानुष्ठान आयोजित किये जाते थे.इसमें पिशाच के कब्र की पहचान करने का एक तरीका यह भी था कि एक कुंवारे लड़के को एक कुंवारी घोड़ी पर बिठाकर किसी कब्रगाह या गिरजा की जमीन से होकर गुजारा जाता था -- घोड़ा अगर कब्र के पास प्रश्नात्मक भंगिमा में अड़ गया तो समझ लिया जाता था कि कब्र में पिशाच है.  आम तौर पर एक काले घोड़े को उपयोग में लाया जाता था, हालांकि अल्बानिया में इसका सफ़ेद होना जरूरी था. किसी कब्र के ऊपर मिट्टी में अगर कोई सुराख़ दिखाई देती थी तो उसे पैशाचिकी होने का चिन्ह मान लिया जाता था.
जिन शवों को पिशाच समझ लिया जाता था वे आमतौर पर अपेक्षा से अधिक स्वस्थ और गोल मटोल दिखते थे और उनमें सड़न का कोई नामो-निशान भी नहीं दिखाई देता था. कुछ मामलों में जब संदेहास्पद कब्र खोले जाते थे, ग्रामीणों के विवरण के अनुसार शवों के पूरे चेहरे पर किसी शिकार के ताज़ा खून पाए जाते थे. मवेशियों, भेड़ों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों की मौत यह प्रमाणित करती है कि पिशाच किसी नियत निश्चित इलाके में ही सक्रिय रहते थे. लोककथाओं के पिशाच छोटे-मोटे भुतहा कार्यों के जरिए अपनी मौजूदगी का अहसास दिला सकते थे, जैसे कि छतों पर पत्थर फेंकना, घर के सामानों को अस्त-व्यस्त कर देना और सोते हुए लोगों पर दबाव डालना इत्यादि.

Vampire History - Part - I

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पिशाच वे प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर. हालांकि विशिष्ट रूप से इनका वर्णन मरे हुए किन्तु अलौकिक रूप से अनुप्राणित जीवों के रूप में किया गया, कुछ अप्रचलित परम्पराएं विश्वास करती थीं कि

पिशाच अक्सर अपने प्रियजनों से मिला करते थे और अपने जीवन-काल में जहां वे रहते थे वहां के पड़ोसियों के अनिष्ट अथवा उनकी मृत्यु के कारण बन जाते थे. वे कफ़न पहनते थे और उनके बारे में अक्सर यह कहा जाता था कि उनका चेहरा फूला हुआ और लाल या काला हुआ करता था. यह 19वीं सदी के शुरूआती दौर में आरंभ होने वले आधुनिक काल्पनिक पिशाचों के मरियल, कांतिहीन चित्रण से स्पष्ट रूप से भिन्न था. हालांकि पिशाचीय सत्ता अनेक संस्कृतियों में मिलती है फिर भी पिशाच शब्द 18वीं सदी के आरंभ तक लोकप्रिय नहीं हुआ था. पश्चिमी यूरोप में पिशाच के अंधविश्वास का एक अन्तःप्रवाह चला जैसे कि बाल्कन प्रदेशों एवं पूर्वी यूरोप, में जनश्रुतियों में पिशाच की लोककथाएं बार-बार दुहराई जाती रहीं जबकि स्थानीय अंचलों में लोग पिशाच को अलग-अलग नामों से जानते थे, जैसे कि सर्बिया में वैम्पिर (вампир), ग्रीस में राइकोलाकस (vrykolakas) तथा रोमानिया में स्ट्रिगोई (strigoi). यूरोप में पिशाच अंध-विश्वास के बढ़े हुए स्तर से जन उन्माद उत्पन्न हुआ और कुछ मामलों में शवों को दांव पर लगा दिया गया तथा लोगों पर पैशाचिकी का आरोप लगाया जाने लगा.

सन् 1819 में जॉन पोलिडोरी कृत रचना द वैम्पायर के प्रकाशन के साथ ही आधुनिक कथा-जगत में करिश्माई और कृत्रिम पिशाच का आविर्भाव हुआ. यह कहानी काफी सफल रही और 19वीं सदी के आरंभ में निर्विवादित रूप से पिशाच पर सबसे सफल प्रभावशाली रचना मानी गई. हालांकि ब्रैम स्टोकर के सन् 1897 में प्रकाशित उपन्यास ड्रैकुला को सर्वोत्तम उपन्यास के रूप में याद किया जाता है जिसने पिशाच कथा-साहित्य की पृष्ठभूमि तैयार की. इस पुस्तक की सफलता ने पुस्तकों, फिल्मों, वीडियो गेम्स और टेलीविज़न शो के जरिए एक विशिष्ट पिशाच शैली को जन्म दिया जो 21वीं सदी में अब भी लोकप्रिय है.अपनी विशिष्ट संत्रास (भय) की शैली में पिशाच एक प्रभावशाली चरित्र है.

Zombie Vampire

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A zombie vampire is a vampire who lost his powers and is dying. The zombie vampire is punished by the other vampires for some serious transgressions.
For this Zombie vampire, time is running out fast ...

Flying Vampire

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A flying vampire rises high across the sky, hovering and searching for his prey with his eagle-like eyes.
The flying vampire is a special breed that needs more than blood for sustenance. It needs flesh as well.

Seductive Vampire

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The seductive vampire is ready for some action and she will now go get some prey because her blood thirst has been awakened.
This vampire will use her charms and looks until the moment her prey is at their weakest and then she will strike with her fangs.

Cute Vampire

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A cute vampire is a tricky vampire, for she pretends to be an innocent, rather shy girl who could not harm anyone.
Don't be fooled by the cute vampire. Sooner or later, she will reveal her true self and if you are not prepared, it may be too late!

Bloody Vampire

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When the vampire got hungry, he had to quench his blood thirst without much delay.
The night was just starting and he got lucky with fresh prey... now the bloody vampire is a satisfied vampire, until he has to hunt yet again.

वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा हाईगेट कब्रिस्‍तान

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भूत, रूह या आत्‍मा का कोई एक ठिकाना निश्‍चीत नहीं किया जा सकता है। लेकिन दुनिया भर में कुछ ऐसी जगहें होती है, जिसे ये रूहें और आत्‍मा अपना ठिकाना बना लेती है। अभी तक आपने पुरानी इमारतों, और जहाजों पर रूहों के कब्‍जे के बारें में पढ़ा आज हम आपकों एक ऐसी कब्रिस्‍तान के बारें में बताऐंगे जहां पर वैम्‍पायरों का राज है। एक ऐसा कब्रिस्‍तान जिसे मौत के बाद मूर्दो को गहरी नींद में सोने के लिए बनाया गया लेकिन जो बन गया है वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा।

हम बात कर रहे है। लंदन के हाईगेट कब्रिस्‍तान की। इस कब्रिस्‍तान में बहुत से लोगों ने वैम्‍पायर्स को देखा है जो कि आये दिन इस कब्रिस्‍तान में घुमते रहते है। अभी तक वैम्‍पायर्स के बारें में दुनिया भर में केवल अटकलें ही लगायी जाती है। लेकिन इस कब्रिस्‍तान में कई बार लोगों ने मौत के इन राक्षसों को महसूस किया है। आप खुद ही महसूस कर सकते है कि कोई भी ऐसी जगह जहां आप अकेले हो और कोई ऐसा साया जो आपके आस पास ही किसी मूर्दे के शरीर से खून पी रहा हो तो कैसा महसूस होगा।

वैसे भी दुनिया भर में कब्रिस्‍तान का नाम सुनकर लोगों को भूत, प्रेत, और आत्‍माओं का ख्‍याल आ जाता है। कब्रिस्‍तान के बारें में बहुत से लोग यही मानते है कि वहां पर रूहो का होना लाजमी है। ये सच है क्‍योंकि रूहों का वास वहीं सबसे ज्‍यादा होता है जहां उसके साथ कोई हादसा हुआ हो या जहां उसका शरीर हो। लेकिन ये रूहे भी कभी किसी को परेशान नहीं करना चाहती है। ये भी अपनी दुनिया में अलग तरह से विचरण करती रहती है। आईऐ आज लंदन के उस कब्रिस्‍तान की सैर करें।

हाईगेट कब्रिस्‍तान का इतिहास

हाईगेट कब्रिस्‍तान उत्‍तरी लंदन में बनाया गया एक कब्रिस्‍तान है। यह काफी बड़ा और विशाल है। इस कब्रिस्‍तान में कई गेट है। दुनिया भर में सबसे बडे कब्रिस्‍तान के अलांवा यह कार्ल मार्क्‍स की कब्र के लिए भी दुनिया भर में विख्‍यात है। इस कब्रिस्‍तान को सन 1839 में शुरू किया गया था। उस समय लंदन एक विचित्र संकट से जुझ रहा था।

लंदन में उस समय मृत्‍यु दर ज्‍यादा दी और आये दिनों लोगों की भारी संख्‍या में मौत हो रह‍ी थी। लोगों की हो रही लगातार मौतों के बावजूद भी लंदन में उन्‍हे दफनाने के लिए कोई जगह नहीं बची थी। इसी समस्‍या से उबरने के लिए लंदन के उत्‍तरी छोर में इस हाईगेट कब्रिस्‍तान का निर्माण किया गया। इस कब्रिस्‍तान के निर्माण के पहले जगह की किल्‍लत के चलते लोग मूर्दो को अपने घर के आस पास ही गलियसारों में दफन कर दे रहे थे जो कि बहुत ही भयावह स्‍ि‍थती थी। रास्‍तों में दफन मूर्दो से भयानक बदबू आती थी। इस समस्‍या से उबरने के लिए अधिकारियों ने इस कब्रिस्‍तान का निर्माण कराया था।
हाईगेट की संरचना और आकार

हाईगेट उस समय दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित कब्रगाह था। यह कब्रिस्‍तान 37 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और उत्‍तरी लंदन के बीचों बीच बनाया गया है। इस कब्रिस्‍तान में एक घंटा घर और ट्यूडर शैली का प्रयोग किया गया है। इसकी इमारतों में शानदार लकडियों का इस्‍तेमाल किया गया है। इस कब्रिस्‍तान मे मिश्र की शैली का भी पुरा प्रयोग किया गया है। इस कब्रगाह के लिए भी आया जिसके लिए इसका निर्माण किया गया था, पहली बार इस कब्रिस्‍तान में 26 मई 1839 को लिटील विंडमिल स्ट्रिट की एलिजाबेथ जैक्‍सन को दफनाया गया, और इसी के साथ सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है।

कब्रिस्‍तान में वैम्‍पायर्स

यह कब्रिस्‍तान बहुत ही बड़ा है और इसमें न जाने कितने लोग दफन है। जहां पर एक साथ जमीन में इतने लोग दफन होंगे वहां रूहों और आत्‍माओं का दिखना तो लाजमी ही होगा। इस कब्रिस्‍तान में भी बहुत सी ऐसी रूहे है जो गाहें बगाहें लोगों को दिख जाती है। कई बार लोगों को इसका आभास होता है और उनके साथ कोई हादसा हो जाता है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार वैमपायर्स को देखा गया है और उन्‍हे महसूस किया गया है। सबसे पहला मामला जो प्रकाश में आया था वो था सन 1970 में जब स्‍कूल की दो छात्राओं ने कब्रिस्‍तान के ए‍क किनारें एक वैम्‍पायर कों बैठा देखने का दावा किया था। उन दोनों छात्राओं का कहना था कि जब वो स्‍कूल से लौट रही थी और जब वो कब्रिस्‍तान के पास पहुंची तो उस समय शाम हो गयी थी और हल्‍का हल्‍का अंधेरा शुरू हो गया था। उसी समय उन्‍हे कुछ अजीब सी आवाज सुनायी दी जो कि कब्रिस्‍तान के तरफ से आ रही थी। उस समय जब उन्‍होने कब्रिस्‍तान की तरफ देखा तो वहां एक आदमी जैसा कोई बैठा और कब्र से शव को निकाल कर उनका खुन पी रहा था। इसके अलांवा इस हादसें के एक हफ्ते बाद ही एक और मामला प्रकाश में आया जहां एक प्रेमी जोड़ ने भी एक वैम्‍पायर को देखन की बात कहीं। उनका कहना था कि वो दोनों कब्रिस्‍तान के तीसरे गेट की तरफ से रात में गुजर रहे थे उसी वक्‍त उन्‍होने एक बहुत ही बड़े आदमी को देखा जो कि सामान्‍य लंबाई से बहुत ज्‍यादा था उसका चेहरा अंधेरे के कारण देख नहीं पाया गया लेकिन उसके चेहरे का आकार और बनावट मनुष्‍यों से अलग थी। उनका कहना था कि शायद उस अजीब से साये ने उन्‍हे देख लिया था और वो उन्‍ही के तरफ धिमें धिमें बढ रहा था। इतना देख दोनों वहां से भाग गये। इस तरह की कई घटनाए है जो कि हाईगेट कब्रिस्‍तान में देखने को मिली है। कई बार लोगों ने इस महसूस किया है। इस कब्रिस्‍तान से होकर जाने वाले सड़क पर कई बार लोगों की दुर्घटनाए भी हुयी है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार कब्रों से लाशों के गायब होने का भी मामला सामने आ चुका है। आज भी इस कब्रिस्‍तान में आसानी से रूहों और आत्‍माओं को महसूस किया जा सकता है।

Kaalo - A Witch

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Between the 11th and 18th century, witchery/witchcraft was practiced heavily in Europe, Africa and Asia

It has been found that over 46 thousand witches were killed during this period. Every incident had a story. One such incident had occurred in. Northern India in a village named Kulbhata. During 18th century, this village, surrounded by a desert, was tormented by a witch named Kaalo. Kaalo wanted to sacrifice nubile girls to satisfy her greed for immortality.

One day she was stoned to death and buried by angry villagers, but her fear lived on in and around Kulbhata. Years later some villagers spoke of Kaalo's sightings yet again. Kulbhata was vacated overnight by scared villagers. All roads leading to Kulbhata were sealed by horrifying tales of Kaalo killing anyone who dared to enter Kulbhata. It is said, Kaalo still roams in Kulbhata,  in a more ferocious form than before. And it is believed that since that incident no one has gone to Kulbhata.  250 years have since passed, but still Kaalo is present and hungry for more lives.  Anybody who dares  to pass through the village is killed.


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