रात के अंधेरे में या एकांत स्थान पर आपको कभी-कभार किसी अनजानी ताकत के आसपास होने जैसा महसूस होता है. हालांकि कई बार पारलौकिक शक्तियों जैसे भूत-प्रेत और आत्माओं के होने के सबूत पेश किए गए हैं लेकिन विज्ञान ने इसे मात्र अफवाह बताकर हमेशा ही झुठलाया है. परंतु कहते हैं ना तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं. आज हम आपको अलग-अलग काल से जुड़ी कुछ ऐसी ही तस्वीरों के बारे में बता रहे हैं जिनमें अनजाने में ही कुछ आत्माएं कैद हो गईं. जिन्हें देखने के बाद वे लोग जो भूत-प्रेत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करते उन्हें एक बार दोबारा सोचना पड़ेगा.
Mano Ya Na Mano Release on dated 23rd August 2012, Real Ghost Stories (भूतो की कहानियाँ )Mano Ya Na Mano providing a fresh source of first hand images,information,and research into the world of the paranormal,it contains an ever growing collection of first hand, true ghost stories, classic photographs and images.
Real Ghost Stories – The Devil and his demons, ghosts, vampires, ghouls, evil human and animal spirits all walk the Earth freely to this very day. The reports by psychics and common people from all corners of the planet are unanimous—Ghosts are real. Some of them are evil, cunning, and manipulative while others are benign.
Do YOU believe in Ghosts? Do you think we, the believers, are weird or strange? Read on and you might just assent to our belief.
We, the people who believe, know there are many unsolved mysteries in this world. Those who don't believe say there are no such things as ghosts, spirits, demons, vampires, haunting, and so on, but rather strangely, will likely never agree to sleep alone in a graveyard at night. And some are even paranoid of the dark. What gives?
Well, I hope you will give me and my fellow believers a chance to convince you about the "cosmic unknown".
Since you are still here, good, at least you are curious. Or maybe, there is more to your curiosity than you care to admit. Please share with us if you dare.
Anyway, I want to thank all those who have sent me their stories. There have been hundreds of stories, and I can't possibly edit them all in the near future, so I ask you to be patient and to keep sending your stories. Some of the stories may not be featured on this website but may end up in my upcoming post.
Real Ghost Caught in Camera
Posted by Unknown | Labels: Real Ghost Caught in Camera | 0 commentsरात के अंधेरे में या एकांत स्थान पर आपको कभी-कभार किसी अनजानी ताकत के आसपास होने जैसा महसूस होता है. हालांकि कई बार पारलौकिक शक्तियों जैसे भूत-प्रेत और आत्माओं के होने के सबूत पेश किए गए हैं लेकिन विज्ञान ने इसे मात्र अफवाह बताकर हमेशा ही झुठलाया है. परंतु कहते हैं ना तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं. आज हम आपको अलग-अलग काल से जुड़ी कुछ ऐसी ही तस्वीरों के बारे में बता रहे हैं जिनमें अनजाने में ही कुछ आत्माएं कैद हो गईं. जिन्हें देखने के बाद वे लोग जो भूत-प्रेत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करते उन्हें एक बार दोबारा सोचना पड़ेगा.
एक कब्रिस्तान जहां आज भी घूमते हैं पिशाच
Posted by Unknown | Labels: Graveyard | 0 commentsचंगी अस्पताल, जहां आज भी जिंदा है रूहें
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Singapore | 0 commentsरूहों के बारें में लोगों के दिमाग में कुछ सवाल हमेशा कौंधतें है कि वो हमेशा एकांत में ही क्यों रहती हैं? या फिर वो सामने क्यूं नहीं ? वगैरा वगैरा। हम आपकों बतां दें कि उन्हे हमारे सामने आने में कोई समस्या नहीं होती है। दोष हमारे आंखों में होता है वो दुनिया के हर कोनें में हर समय मौजूद रहती हैं। बस हम उन्हें देख नहीं पातें। उनकी उपस्थिती का अंदाजा आप इसी से लगा सकतें है कि वो शायद इस समय यह लेख पढ़तें समय भी आपकें आस पास मौजूद हो सकती हैं।
एक बात इनके बारें में कहीं जाती है कि जब इनके बारें में सोचा जाता है, या फिर इन्हे याद किया जाता है तो ये और शक्तिशाली हो जाती है और आपके सामने आ सकती हैं। एक सवाल और जो कि अमुमन लोगों के दिमाग में आता है कि इन आत्माओं का जन्म कहां से होता हैं। तो मै आपको बता दू कि रूहों का जन्म जीवों की मौत के बाद होता हैं। रूहें या आत्माएं केवल इंसानों की ही नहीं होती हैं ये जानवरों की भी होती हैं। जहां तक रहा सवाल इनके आकार या फिर संरचना का तो वो सदैव विचित्र ही होता है जैसा कि हम इंसान पहले कभी नहीं देखें होतें हैं।
आज हम आपकों अपने इस सीरीज के इस लेख में सिंगापूर के एक ऐसे अस्पताल के बारें में बताऐंगे जो कि जापानी सैनिकों के इलाज के लिए बनाया गया लेकिन वो उनकी कब्रगाह बन गया। आइऐं चलतें है मौत की उस भयानक सफर पर जहां हम आपकों बताऐंगे पुराने चंगी अस्पताल के बारें में। चंगी अस्पताल का इतिहास चंगी अस्पताल का निर्माण सन 1930 में कराया गया था। यह अस्पताल नार्थवन रोड के किनारे चंगी गांव के पास बनाया गया था इसीलिए इसका नाम चंगी अस्पताल पड़ गया। उस समय इस यह एक मिलीट्री अस्पताल हुआ करता था। द्वितीय विश्व युद्व के दौरान सिगापुर के चंगी गांव के आस-पास जापानियों का कब्जा हो गया था। उस समय हजारों की संख्या में जापानी सैनिक इस अस्पताल में लायें गये थे। इस अस्पताल में उन सैनिकों का इलाज किया जाता था। इलाज के दौरान इस अस्पताल में सैनिकों को उपचार देने के लिए पर्याप्त साधन मौजूद नहीं थी। इसके अलांवा रोजाना सैकड़ों की संख्या में घायल जवानों के आनें का सिलसिला जारी था। उस समय इस अस्पताल में नर्स, चिकित्सक और कुछ सुरक्षाकर्मी भी थे। सैनिक इतने ज्यादा घायल होतें थें कि उनको बचाना कठिन होता था और देखते देखते हजारों की संख्या में जवानों की मौत होनें लगी। अस्पताल में हो रही इन मौतों के कारण अस्पताल में एक भयानक बिमारी ने जन्म ले लिया और यह बिमारी अस्पताल के स्टाफ में भी फैल गयी। इस अस्पताल में काम करने वालें दो नर्सो की भी बिमारी के चलते मौत हो गयी। इसके अलांवा एक चिकित्सक की भी मौत हो गयी।
यह अस्पताल एक बहुत ही विशाल भवन था, इसमें कई ब्लाक थे। साथ ही इसमें बहुत ढेर सारे वार्ड भी थे। अस्पताल में रूहों का बसेरा लगातार हो रही मौतों के कारण यह अस्पताल उस समय एक मनहूस जगह बन चुकी थी। उस समय जो जवान घायल अवस्था में लायें गये थे उसमें से बहुत कम ही जिंदा वापस जा सके थे। ज्यादातार जवानों की वहीं पर मौत हो गयी थी। जिसके कारण उस अस्पताल में मर चुके जवानों की रूहे भटकने लगी और देखते देखते कुछ दिनों में वहीं उनका बसेरा हो गया। उस समय से लेकर आज तक उन जवानों की रूहों को उस अस्पताल में साफ महसुस किया जाता हैं। जवानों के लाशों को उस समय अस्पताल के पिछे एक ब्लाक में जिसे मर्च्यूरी कहा जाता था, वहां रखा जाने लगा। रोजाना सैकड़ों लाशें लायी जाने लगी और मौत का तांडव शुरू हो चुका था। अस्पताल के दूसरे माले पर कई बार रात में लोगों ने एक वृद्व व्यक्ति का साया देखा इसके बारें में अस्पताल प्रबंधन को भी बताया गया लेकिन इस मामलें पर किसी ने भी ध्यान नही दिया। एक बार एक व्यक्ति दूसरे माले से अचानक गिर गया और वो बुरी तरह जख्मी हो गया जब अस्पताल में उसका इलाज किया जा रहा था। उस वक्त उसने बताया कि उसे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने उसे बलपूर्वक धक्का दे दिया हो और कुछ दिनों बाद उस व्यक्ति की मौत हो गयी। उसके उसके बाद से दूसरे माले पर लोग अकेले जानें में डरने लगे। कई लोगों ने दावा किया कि उस माले पर किसी के ठहाके लगा कर हंसने की भी आवांजे आती हैं। अस्पताल में एक नर्स का साया अस्पताल में एक नर्स का साया भी बहुचर्चित हैं। एक बार एक जवान का इलाज करते समय एक नर्स से कुछ गलती हो गयी। उस समय जवान गुस्से में उसे बुरी तरह मारने पीटने लगा। उस समय वो नर्स पेट से गर्भवती थी और उस जवान ने पैर से उसके पेट पर भी वार कर दिया। पेट पर वार करते ही वो नर्स जमीन पर तड़पने लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। तब से लेकर आज तक कई बार उर्स नर्स के साये को वहां देखा गया हैं। उस नर्स का साया आज भी कभी जमीन पर रेंगती है और खुद को बचाने का गुहार लगाती हैं। कभी कभी वो अपने हाथ में एक खंजर लिए घुमती हैं। एक व्यक्ति ने दावा किया कि वो जब अस्पताल के तीसरे माले पर गया था तो उसने वैसी ही एक महिला का साया देखा था और जब उसने उसके करीब जाने की कोशिश की तो वहां पर महिला, और बच्चे की रोने की आवाज आने लगी जिसके कारण वो वहां से भाग खड़ा हुआ।
अस्पताल में जिंदा चौकीदार चौकिदार का भूत, इस अस्पताल में कहीं भी मिल जाता हैं। इस चौकीदार के बारें में कई लोगों ने दावा किया है कि उन लोगों ने उससे बात भी की हैं। कुछ ऐसा ही मामला दो भाईयों के साथ भी हुआ था। दोनों भाई अपने स्कुल से वापस लौट कर इस अस्पताल में घुमने के लिए आयें थे। अस्पताल के गेट पर आकर उन्हाने अपनी बाइक खड़ी की और अस्पताल के अंदर दाखिल हो गये। अभी वो कुछ ही दूर गये थे कि तभी अस्पताल का चौकीदार उनकी पास आ गया। चूकि दोनों भाई पहली बार उस अस्पताल में आयें थे और पुरा अस्पताल विरान था तो उन दोनों भाईयों ने उससे बातें करनी शुरू कर दी। जब वो कुछ दूरी पर बात करते गये और दूसरे माले पर पहुंचे तो चौकिदार ने एक भाई का हाथ पकड लिया और कहा कि बस बहुत घुम लिया तुम लोगों ने अब घर जाओं। जैसा कि दोनों भाईयों ने बताया कि उस आदमी के पास से भयानक बदबू आ रही थी, और उसकी आवाज भी काफी भारी थी। जब उसने ये बात कही तो हम डर गये क्यूंकि कई बार हम लोगों ने उस अस्पताल के बारें में सुना था और अंधेरा भी हो रहा था। इसलिए हम वापस आने लगे। जब हम वापस आ रहे थे तो हमने चौकीदार से पुछा कि आप कहां रहते हैं। तो चौकीदार ने उसी तरफ इशारा किया जिधर उसने हमे जाने से रोका था। फिर हमने पुछा कि आप यहां क्या करते है तो उसने बताया कि मै कई सालों से इस अस्पताल में लोगों की सेवा करता हूं। लेकिन मुझे बहुत दुख है कि यह अस्पताल अब बंद होग गया हैं। लेकिन मै इसे नहीं छोड सकता इतना कह कर वो सिडीयों से निचे उतरने लगा। हम दोनों उसके पीछे पीछे नीचे उतरे लेकिन वो नीचे कहीं भी नहीं था। इतना देखकर हम दोनों वहा से निकल गये और बाइक के पास आ गये हम दोनों काफी डरे हुए थे, और जल्दी जल्दी में बाइक का लाक भी नहीं खोल पा रहे थे। इसी समय एक भाई की नजर दूसरे के हाथ पर पड़ी जिसका हाथ को उस चौकीदार ने पकड़ा था। उसके कलाई पर एक काला निशान बन गया था। इतना देखते ही दोनों घबरा गये और वहां से भाग निकले। इस अस्पताल में चारों तरफ रूहों का कब्जा हैं। कभी भी आप इन रूहों को महसूस कर सकते है। लेकिन इस अस्पताल में अकेले घुमने नहीं दिया जाता हैं। क्योकि ऐसा माना जाता है कि कई बार रूहो को अहसास मात्र से कई लोगों के साथ हादसें हो गये हैं। विशेषकर दूसरे माले पर वहां से अब तीन लोगों की अपने आप ही गिरने से मौत हो गयी हैं। यदि आपकों इन्हे महसूस करना है तो कभी भी अकेले न जायें। (Click For English Version)
एक गांव जो सैकड़ों सालों से है भूत के साए में!
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Rajasthan | 0 commentsGhost In Bihar
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Bihar | 0 commentsThe City of Djinns
Posted by Unknown | Labels: The City of Djinns | 0 comments'The City of Djinns' जिन्नों के शहर दिल्ली में
लेकिन दिल्ली इस मामले में अनूठा है कि इस शहर में इधर-उधर इंसानी खंडहर भी बिखरे हुए हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों ने अलग-अलग शताब्दियों के वजूद को संभाल कर रखा है, यहाँ तक कि अलग-अलग सहस्त्राब्दियों को भी। आज के लिए उसकी कसौटी पंजाबी शरणार्थी हैं, छोटी मारुति कारों और हर नई चीज़ की ओर आकर्षित होने वाले, उन्होंने अस्सी के दशक में दिल्ली की जीवनरेखा बनाई। लोदी गार्डेन में टहलते आपको ऐसे बुजुर्ग मिल जाएँगे जिनकी बातचीत, शैली से आपको यह अहसास हो जाएगा कि वे 1946 में ही फँसे हुए हैं यानी भारत की आज़ादी से पहले के दौर में। पुरानी दिल्ली के हिजड़े, उनमें से कुछ तो दरबारी उर्दू बोलते हैं, महान मुगलों की छाया में वे भी इस शहर में बेगाने नहीं लगते। निगमबोध घाट के साधुओं के बारे में मैंने कल्पना की कि वे इंद्रप्रस्थ के बेचारे नागरिक हैं, महाभारत की पहली दिल्ली के।
महीनों बाद जब मेरी मुलाकात पीर सदरुद्दीन से हुई तब जाकर मुझे उस रहस्य का पता चला जिससे दिल्ली में बार-बार जान लौट आती थी। दिल्ली, पीर सदरुद्दीन ने बताया, जिन्नों का शहर है वैसे तो आक्रमणकारियों ने इसे कई बार जला डाला, मगर यह शहर फिर बस गया, फीनिक्स पक्षी की तरह यह अपनी ही आग से बार-बार पैदा होता रहा। जैसी कि हिंदुओं में मान्यता है शरीर का तब तक पुनर्जन्म होता रहता है जब तक कि उसे मोक्ष नहीं मिल जाता, उसी तरह दिल्ली की किस्मत में हर शताब्दी में नए अवतार में प्रकट होना बदा था। इसका कारण यह है, सदरुद्दीन ने बताया, कि जिन्नों को दिल्ली से इतना प्यार है कि वे इसे खाली या उजाड़ नहीं देख सकते। आज भी वे हर घर में, सड़क के हर नुक्कड़ पर मौजूद हैं, बस आप उनको देख नहीं सकते, सदरुद्दीन ने बताया।
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उस साल गर्मियों में दिन की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद शाम को चलने वाली हवाओं से मौसम की गर्मी जब कुछ कम हो जाती तब मैं और ओलिविया(लेखक की पत्नी) अक्सर टहलते हुए निज़ामुद्दीन दरगाह चले जाते। वहां हम कव्वाली सुनते और तीर्थयात्रियों से बातें करते।
यह समझने में मुझे देर नहीं लगी कि दरगाह पर आने वाले ज्यादातर तीर्थयात्रियों के लिए निज़ामुद्दीन सदियों पहले मर जाने वाले औलिया नहीं थे, वे उन्हें अभी भी जीवित शेख समझते हैं, जिनसे मदद और सलाह अभी भी ली जाती है। एक बार कव्वाली सुनते हुए मैंने डॉ. जाफरी से पूछा कि क्या ऐसा सामान्य तौर पर माना जाता है।
पीर-पैगंबर कभी मरते नहीं, उन्होंने कहा। हमारा शरीर-आपका शरीर तो गल जाएगा। लेकिन पीरों के साथ ऐसा नहीं होता। वे बस परदे के पीछे ओझल हो जाते हैं।
लेकिन आप यह सब कैसे जानते हैं, मैंने पूछा।
बस अपनी आँखों का इस्तेमाल कीजिए! अपने आसपास देखिए, डॉ. जाफरी ने कहा। इस अहाते में एक बादशाह की मजार है- मोहम्मद शाह रंगीला की और एक शाहजादी की भी मजार है- जहांआरा की। सड़क की दूसरी ओर एक और बादशाह का मकबरा है- हुमायूं का। ये दोनों मकबरे निज़ामुद्दीन के मकबरे से ज्यादा खूबसूरत हैं, लेकिन उनको देखने कौन जाता है! केवल सैलानी। जो हँसते हैं, आईसक्रीम खाते हैं और जब मकबरे के अंदरख़ाने जाते हैं तो जूते उतारने के बारे में सोचते भी नहीं हैं।
जबकि यह जगह अलग तरह की है। निज़ामुद्दीन की दरगाह पर किसी को बुलाया नहीं जाता। यह एक गरीब आदमी की मज़ार है जो गुरबत में मरा। तो भी यहाँ हजारों लोग रोज़ आते हैं, अपने आँसू और जीवन की सबसे बड़ी उम्मीद लेकर। कुछ तो है कि लोग निज़ामुद्दीन के गुजरने के छह सौ साल के बाद उसकी दरगाह पर आ रहे हैं। जो भी यहाँ आता है उसे औलिया की मौजूदगी यहाँ बड़ी शिद्दत से महसूस होती है।
निज़ामुद्दीन के दीदार आपको तभी हो सकते हैं जब आपका दिल साफ हो, एक दिन हसन अली शाह निज़ामी ने बताया, जब एक शाम हम मज़ार की फर्श पर बैठे थे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इबादत में कितनी तासीर है। कुछ उन्हें मज़ार पर बैठा देखते हैं। कोई यह देखता है कि वे दरगाह का चक्कर लगा रहे हैं। किसी को वे सपने में दीदार देते हैं। इसका कोई बंधा-बंधाया नियम नहीं है। चूँकि वे मिट्टी के इस तन से आजाद हो चुके हैं इसलिए हमारे बंधनों का उनके ऊपर कोई असर नहीं होता।
क्या आपने उनको कभी देखा है, मैंने पूछा।
अपनी इन आँखों से नहीं, निज़ामी ने जवाब दिया। लेकिन कभी-कभी जब मैं किसी इंसान का इलाज कर रहा होता हूँ या किसी बदमाश जिन्न को भगा रहा होता हूँ तब मैं उनका नाम पुकारता हूँ और तब मुझे उनकी मौजूदगी महसूस होती है...ऐसा है जैसे मैं कोई बाँसुरी होऊँ, अपने आपमें कुछ भी नहीं।
निज़ामी ने यह बताने के लिए कि निज़ामुद्दीन किस तरह अपनी दरगाह की देखभाल करते हैं यह किस्सा सुनाया। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि केवल पीरज़ादे ही अपने पूर्वजों की मज़ार की सफाई कर सकते हैं। एक रात जिस मुहाफिज़ की बारी थी वह पास में ही खेले जा रहे एक नाटक को देखना चाहता था, इसलिए उसने मज़ार की सफाई का जिम्मा अपने एक दोस्त को सौंप दिया। जब पीरज़ादा लौटकर आया तो उसने देखा कि उसका दोस्त चित्त पड़ा है और झाड़ू उसके हाथ में ही है। उसने अपने साथियों को आवाज़ देकर बुलाया और सबके साथ मिलकर उसे खींचकर बाहर लाए, उसके चेहरे पर पानी के छींटे डाले। उसने बताया कि किस तरह उसने मज़ार की सफाई शुरू की कि उसने देखा मज़ार से एक बड़ी तेज़ रोशनी उठी और वह गिर गया। उसे इसके बाद कुछ भी याद नहीं। पीरज़ादे को अपनी गलती का अहसास हो गया।
भूत टहलते हैं चीन की दीवार पर
Posted by Unknown | Labels: The Great Wall of China | 0 comments
भूत टहलते हैं चीन की दीवार पर
(The Great Wall of China)
Haunted Bungalow ! ! ! ! Lohaghat, Uttarakhand
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Uttarakhand | 0 commentsHaunted Bungalow ! ! ! ! Lohaghat, Uttarakhand
Coming back to our story, the bungalow named 'Abbey' was constructed in the early 1900's and named after the owner. This bungalow was then converted into a hospital and that's when the spooky experiences began to manifest themselves. Strange on-goings prompted everyone to raise their levels of suspicion. The most apparent and intriguing episode consisted of a doctor, who could accurately predict a patient's death. He would then transfer such patients to his house called 'Mukti Kothri' , where in the dead body of the patient would be found the very next day! Naturally, rumors were rampant as to whether, were these cold-blooded murders? or were the deaths due to natural causes? or was the doctor indeed remarkable in predicting death with such precision and accuracy? Well! No one could actually figure out the exact reason, however gossip went flying fast and high that since 'The Abbey' was the first house to have come up in the region, this could have angered the gods residing on the hill-tops. And as if to support the local rumors and gossip, it's believed that due to the wrath of the gods that next-to-nothing development of the region has taken place, to this day! Hence the place never really prospered.
Lots of ghostly sightings including the ones called 'Bhoot Ki Daang - where in 2 ghostly figures are seen walking on the road holding hands', continue to this very day. Lohaghat, apart from its unparalleled natural beauty does offer the adventurers and thrill seekers a good reason for an exciting visit!
The National Museum Chowringhee Road
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsSouth Park Street Cemetery
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsSouth Park Street Cemetery |
South Park Street Cemetery Satellite View
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsCalcutta’s South Park Street Cemetery
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsCalcutta’s South Park Street Cemetery
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsCalcutta’s South Park Street Cemetery
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsCalcutta’s South Park Street Cemetery
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsWriter's Building Kolkata
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsकोलकाता के सबसे प्रेतवाधित जगह
Posted by Unknown | Labels: Haunted Places of Kolkata | 0 commentsभूत-प्रेतों की दास्तान हैं मीनाक्षी चौधरी की कहानियां
Posted by Unknown | Labels: Meenakshi Chaudhary | 0 commentsमुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल बुधवार को शिमला में मीनाक्षी चौधरी की पुस्तक का विमोचन करते हुए |
मोर घोस्ट स्टोरीज ऑफ शिमला हिल्स शीर्षक से लिखी गई इस पुस्तक का विमोचन आज यहां मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने किया। शिमला की भूतों पर लिखी गई अपनी इस दूसरी किताब में मीनाक्षी ने ऐसी 16 कहानियों को सम्मिलित किया है जो रोचक और रहस्यपूर्ण तो हैं ही, साथ ही ऐसी घटनाओं से भी जुड़ी हैं जो स्थानीय लोगों की जुबान पर रहती हैं। मीनाक्षी का कहना है कि शिमला की कई पीढिय़ां इन्हीं कहानियों को सुनकर बड़ी हुई हैं। ये कहानियां लोगों के अनुभवों और उनके भूतों से आमना-सामना होने की घटनाओं पर आधारित हैं। किताब में जिन भूतों की कहानियां हैं वे डरावने नहीं हैं बल्कि शरारती हैं। किताब में एक ऐसे मुस्लिम भूत की कहानी भी है जो बटवारे के वक्त यहां आया और यहीं बस गया। बूढ़ा होकर इस भूत की शरारतों में हालांकि कमी आ गई लेकिन यह चाहकर भी कभी यहां से वापस नहीं जा सका।
शिमला के मशहूर गेयटी थियेटर में आज भी घूमने वाले एक अंग्रेज भूत की कहानी को भी किताब में शामिल किया गया है। ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेज इस थियेटर में नाटक देखा करते थे। ये कहानी थियेटर के एक अंग्र्रेज मैनेजर की है। गेयटी थियेटर के एक चौकीदार के अनुसार रात के वक्त यह अंग्रेज मैनेजर अभी भी कभी-कभी पर्दा खींचने और छोडऩे के लिए आवाज़ें लगाता सुनाई देता है। गेयटी के गलियारों में इस मैनेजर के घूमने के अहसास को भी कहानी में बयां किया गया है।
शिमला के परिमहल में परियों के आने से जुड़ी एक रोचक कहानी को भी किताब में सम्मिलित किया गया है। ये कहानी परिमहल में रहने वाले एक ऐसे परिवार के अनुभवों के आधार पर लिखी गई है जिनका दावा है कि वे सभी भूतों से मिले हैं। किताब में ऐसे लोगों के अनुभव भी हैं जो भूतों और आत्माओं को बुलाकर उनसे बात करने का दावा करते हैं। किताब की कहानी को अगर सच मानें तो शिमला में एक ऐसी नर्स भी है जो अस्पताल में आकर आज भी मरीजों की सहायता करती है।
मीनाक्षी का कहना है कि शिमला और इसके आसपास की पहाडिय़ां भूतों के लिए उपयुक्त वातावरण पैदा करती हैं। जंगल, अंधेरी रातें और गहरी धुंध जो पहाड़ों और घाटियों में घिर आती हैं, के साथ-साथ दूर जंगल से आने वाली अजीब-अजीब आवाजें यहां भूतों के होने का अहसास कराती हैं। किताब की कहानियां शिमला और आसपास के क्षेत्रों के उन भूत-प्रेतों की दास्तान हैं जो यहां के जनजीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। मीनाक्षी के अनुसार जब मैंने शिमला के भूतों पर पहली किताब लिखी थी तो लोग मुझे हैरानी से देखकर पूछते थे कि इस जमाने में भला भूत कहां होते हैं? लेकिन तब और अब में मुझे जमीन आसमान का अंतर नजर आ रहा है। इस बार मुझे भूतों की कहानियां तलाशने में कोई दिक्कत नहीं हुई। कितने ही लोग ऐसे मिले जिन्हें न सिर्फ पहली किताब पसंद आई थी बल्कि उन्हें यह शिकायत भी थी कि मैंने कई कहानियां पिछली किताब में छोड़ दी। मुझे लगता है कि मेरी नई किताब से इन लोगों की शिकायत दूर हो जाएगी।
Thane - Vrindavan Society
Posted by Unknown | Labels: Thane - Vrindavan Society | 0 commentsWARNING
Note: if you feel the need to tell your age in stories or comments, you're too young.