Welcome to Real Ghost Stories(भूतो की कहानियाँ )
Mano Ya Na Mano Release on dated 23rd August 2012, Real Ghost Stories (भूतो की कहानियाँ )Mano Ya Na Mano providing a fresh source of first hand images,information,and research into the world of the paranormal,it contains an ever growing collection of first hand, true ghost stories, classic photographs and images.

Real Ghost Stories – The Devil and his demons, ghosts, vampires, ghouls, evil human and animal spirits all walk the Earth freely to this very day. The reports by psychics and common people from all corners of the planet are unanimous—Ghosts are real. Some of them are evil, cunning, and manipulative while others are benign.

Do YOU believe in Ghosts? Do you think we, the believers, are weird or strange? Read on and you might just assent to our belief.

We, the people who believe, know there are many unsolved mysteries in this world. Those who don't believe say there are no such things as ghosts, spirits, demons, vampires, haunting, and so on, but rather strangely, will likely never agree to sleep alone in a graveyard at night. And some are even paranoid of the dark. What gives?

Well, I hope you will give me and my fellow believers a chance to convince you about the "cosmic unknown".

Since you are still here, good, at least you are curious. Or maybe, there is more to your curiosity than you care to admit. Please share with us if you dare.


Anyway, I want to thank all those who have sent me their stories. There have been hundreds of stories, and I can't possibly edit them all in the near future, so I ask you to be patient and to keep sending your stories. Some of the stories may not be featured on this website but may end up in my upcoming post.

जब इंसानी दुनिया में प्रवेश कर ले जिन्न

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धर्म चाहे कोई भी हो लेकिन सच यही है कि सभी धर्म अपने-अपने तरीके से पारलौकिक ताकतों में भरोसा करते हैं. ईश्वर, अल्लाह, जीसस आदि को तो सभी मानते हैं लेकिन जिस प्रकार सच्ची और अच्छी ताकतों का घेराव हमारे आसपास है वैसे ही कुछ बुरी ताकतें भी हर समय हमें नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहती हैं और हर धर्म में उन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में उन्हें आत्माएं, प्रेत और पिशाच, ईसाई डेविल या स्पिरिट और इस्लाम धर्म में जिन्नों के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है. भूत-प्रेत और आत्माओं के बारे में तो हम आपको कई बार बता चुके हैं लेकिन आज हम आपको जिन्नों के विषय में कुछ विशिष्ट जानकारियां प्रदान करने वाले हैं. इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग जरूर जिन्नों के विषय में बहुत हद तक जानकारी रखते होंगे लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो सभी को जाननी जरूरी है, जैसे:

1. जिन्न शब्द का अर्थ और इनका उद्भव: जिन्न अरबी भाषा से लिया गया शब्द है क्योंकि सबसे पहले जिन्नों के होने का एहसास अरबी देशों में ही हुआ था. इस शब्द का अर्थ अंग्रेजी भाषा के ही एंजेल्स की अवधारणा से मिलता-जुलता है जिसका अर्थ अलौकिक और ना दिखने वाली ताकत है. कुरान के अनुसार जिन्न का उद्भव हवाओं में से हुआ है, कह सकते हैं कि जिन्न नकारात्मक या सकारात्मक ऊपरी हवाओं से संबंधित है. इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार मरने के पश्चात इंसान जिन्न बन जाता है और अपनी किसी इच्छा को पूरी करने के 1000 से 8000 वर्षों बाद दुनिया को छोड़कर चला जाता है.

2. जिन्न के प्रकार: जानकारों के अनुसार जिन्न को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है. इन चारो ही तरह के जिन्न खतरनाक तो होते हैं लेकिन अलग-अलग तरीके से वह इंसानी दुनिया को प्रभावित करते हैं.

(क) मरीद: जिन्न की सबसे खतरनाक और ताकतवर प्रजाति है मरीद. आपने कई बार इन्हें किस्सों और कहानियों में सुना होगा. लोकप्रिय कहानी अलादीन का चिराग में भी इसी जिन्न को शामिल किया गया था. इन्हें समुद्र या फिर खुले पानी में पाया जा सकता है. यह हवा में उड़ते हुए भी देखे जा सकते हैं.

(ख) इफरित: इंसानी दुनिया जैसे ही इफरित जिन्नों की भी दुनिया होती है जिसमें महिला और पुरुष दोनों इफरित साथ रहते हैं. यह इंसानों को समझने की ताकत रखते हैं और बहुत ही जल्द इंसानों को अपना दोस्त बना लेते हैं. इफरित अच्छे भी होते हैं और बुरे भी लेकिन इन पर विश्वास करना घातक सिद्ध हो सकता है.

(ग) सिला: सिला प्रजाति में सिर्फ महिला जिन्न ही होती हैं जो देखने में बेहद आकर्षक और खूबसूरत होती हैं. इंसानी दुनिया में विचरण तो करती हैं लेकिन उनसे दूरी भी रखती हैं. सिला ज्यादा मात्रा में देखी नहीं जातीं लेकिन वह मानसिक तौर पर मजबूत और बहुत समझदार होती हैं.

(घ) घूल: इंसानी मांस खाने वाली यह प्रजाति बहुत खौफनाक होती हैं. यह कब्रिस्तान के आसपास ही रहते हैं. इनका व्यवहार क्रूर और शैतान से मिलता-जुलता है इसीलिए इंसानों के लिए यह बहुत भयावह होते हैं.

(ङ) वेताल: यह वैम्पायर होते हैं, इंसानों के खून पर ही जिंदा रहते हैं. विक्रम वेताल की कहानियों में इसी वेताल का जिक्र था. यह भविष्य देख सकते हैं और जब चाहे भूतकाल में भी जा सकते हैं.

दिल्‍ली की 5 सबसे डरावनी जगह

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दिल्‍ली कैंट
यह दिल्‍ली का बहुत ही हरा-भरा और सुंदर इलाका है। यहां के कई लोगों ने बताया है कि इस जगह पर उन्‍होंने एक सफेद रंग के लिबास में लड़की देखी है जो लोगों से लिफ्ट मांगती रहती है और जब वे उसे लिफ्ट देते हैं तो वह अपने आप ही गायब हो जाती है।

(For English Version)
http://realghostories.blogspot.in/2013/05/delhi-is-haunted.html





खूनी दरवाज़ा

इसका नाम ही बता रहा है कि यह जगह कितनी डरावनी होगी। खूनी दरवाजे का यह नाम तब पड़ा जब यहाँ मुग़ल सल्तनत के तीन शहज़ादों, बहादुरशाह ज़फ़र के बेटों मिर्ज़ा मुग़ल और किज़्र सुल्तान और पोते अबू बकर को ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन ने नंगा कर के गोली मार कर हत्या कर दी थी। तो यदि आप विदेशी हैं तो इन तीनों की आत्‍माओं से बच के रहिये क्‍योंकि ये अपनी बेजत्‍ती का बदला लेने के लिये उत्‍सुक रहते हैं।




जमाली कमाली मस्‍जिद
जमाली कमाली कोई दो भूतों का नाम नहीं है, यह तो दो महान सूफी संतो के नाम हैं जिन्‍हें इस मस्‍जिद में दफनाया गया था। लोग कहते हैं कि रात के समय इस वीरान जगह पर कुछ जिन आते हैं जो कि लोगों के गाल पर थप्‍पड़ मारते हैं और फिर हवा उनके पीछे पड़ जाती है।







संजय वन
संजय वन दिल्‍ली का यह जंगल भी भूतों से नहीं बच पाया है। इस जंगल में बहुत से पुराने बरगद के पेड़ हैं इसलिये यहां पर आने वाल कई शिकारी बताते हैं कि उन्‍होंने एक औरत को सफेद कपड़ों में बरगद के पेड़ के पीछे छुपते हुए देखा है।









लोथियन सेमेट्री
लोथियन सेमेट्री यह इसाइयों का कब्रिस्‍तान है जहां पर कई तरह के भूतों की कहानियां प्रचलित है, जैसे सिर कटे हुए भूत की। बताया जाता है कि यह भूत अपने जमाने में एक जवान सिपाही था जिसकी प्रेमिका ने इसको ठुकरा दिया था जिस वजह से इसने अपना सिर काट लिया। अब यह भूत अमावस्‍या की रात में यहां ठहलता है।






जहां शिव दर्शन करता है अमर अश्वत्थामा

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असीरगढ़ का किला

भोर होने का सुंदर लेकिन रहस्यमयी नजारा...


सुनसान किले में रात का मंजर बेहद डरावना होता है...

यहाँ एक मजार भी है, लेकिन अब यहाँ कोई नहीं आता...


किले का तालाब भी अपने अंदर कई राज समेटे हुए है...

किले की खंडहर दिवारें, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं...

असीरगढ़ का किला

अब भी किले की हिफाजत करता है यह मजबूत दरवाजा...


 हिन्दू धर्म ग्रंथों में अनेक ऐसे दिव्य ऋषियों, देवताओं और पुरुषों के बारे में लिखा गया है, जो अमर हैं। इनकी मौजूदगी प्रत्यक्ष तो नहीं दिखाई देती। लेकिन ऐसे अनेक स्थान, मंदिर या ईमारतें है, जो इनकी अमरता का एहसास कराते हैं। इन दिव्य आत्माओं में एक है- महाभारतकालीन पात्र अश्वत्थामा, जो गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे।


चिरंजीव अश्वत्थामा की उपस्थिति का प्रमाण मिलता है - भारत में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के समीप स्थित असीरगढ़ के किले में। सतपुड़ा पर्वत की गोद और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है असीरगढ़ का किला। इस क्षेत्र में ताप्ती और नर्मदा नदी का संगम भी है। यह प्राचीन समय में दक्षिण भारत जाने के द्वार के रुप में भी प्रसिद्ध था। लोक मान्यता है कि इस किले के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में अश्वत्थामा रोज शिव की उपासना और पूजा करते हैं। इसके सबूत के रुप में मंदिर में सुबह गुलाब के फूल और कुमकूम दिखाई देते है। माना जाता है कि अश्वत्थामा मंदिर के पास ही स्थित तालाब में स्नान करते हैं। उसके बाद शिव की आराधना करते हैं।


यह मंदिर बहुत पुराना है। किंतु यहां पर पहुंचने पर विशेष अध्यात्मिक अनुभव होता है। यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता दुर्गम है। मंदिर चारों ओर खाई से घिरा है। जिसमें माना जाता है इस खाई में बने गुप्त रास्ते से ही अश्वत्थामा मंदिर में आते-जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी होती है। इस मंदिर को लेकर लोक जीवन में एक भय भी फैला है कि अगर कोई अश्वत्थामा को देख लेता है, तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। किंतु मंदिर के शिवलिंग के लिए धार्मिक आस्था है कि शिव के दर्शन से हर शिव भक्त लंबी उम्र पाने के साथ रोगमुक्त रहता है।


इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे करीबी स्थान बुरहानपुर है। जहां से लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर असीरगढ़ किले में यह मंदिर स्थित है। यहां पहुंचना मन में अध्यात्म और रोमांच पैदा करता है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों से आवागमन के साधनों से जुड़ा है। रेल मार्ग द्वारा खंडवा स्टेशन पहुंचकर भी यहां पहुंचा जा सकता है। 

रहस्यों से भरपूर है असीरगढ़ का किला...

असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किमी. की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 750 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गुणगाथा का गान मुक्त कंठ से कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे।

इतिहास

इतिहासकारों ने इसका 'बाब-ए-दक्खन' (दक्षिण द्वार) और 'कलोद-ए-दक्खन' (दक्षिण की कुँजी) के नाम से उल्लेख किया है, क्योंकि इस क़िले पर विजय प्राप्त करने के पश्चात दक्षिण का द्वार खुल जाता था, और विजेता का सम्पूर्ण ख़ानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। इस क़िले की स्थापना कब और किसने की यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। इतिहासकार स्पष्ट एवं सही राय रखने में विवश रहे हैं। कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर  महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं।

क़िले का नामकरण

कुछ इतिहासकार इसे रामायण काल का बताते हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार 'मोहम्मद कासिम' के कथनानुसार इसका 'आशा अहीर' नामक एक व्यक्ति ने निर्माण कराया था। आशा अहीर के पास हज़ारों की संख्या में पशु थे। उनकी सुरक्षा हेतु ऐसे ही सुरक्षित स्थान की आवश्यकता थी। कहते हैं, वह इस स्थान पर आठवीं शताब्दी में आया था। इस समय यहाँ हज़रत नोमान चिश्ती नाम के एक तेजस्वी सूफ़ी संत निवास करते थे। आशा अहीर उनके पास आदरपूर्वक उपस्थित हुआ और निवेदन किया कि उसके व परिवार की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करें, ताकि वह क़िले पर अपने परिवार सहित रह सके। इस तरह वह हज़रत नोमान की आज्ञा एवं आशीर्वाद पाकर, इस स्थान पर ईट मिट्टी, चूना और पत्थरों की दीवार बनाकर रहने लगा। इस तरह आशा अहीर के नाम से यह क़िला असीरगढ़ नाम से प्रसिद्ध हो गया।

चीखती सुनसान इमारतों का रहस्य (World's Most Haunted Places)

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शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसने अपने जीवन में तथाकथित वास्तविक भूतहा कहानी ना सुनी हो. अपने बड़े-बुजुर्गों या अन्य परिवारजनों से आपने कुछ ऐसे किस्से जरूर सुने होंगे जिन्हें सुनने के बाद आपके भीतर थोड़ी बहुत जिज्ञासा और अत्याधिक भय या दहशत पैदा हो गई होगी. कुछ विशेष स्थान भी ऐसे होते हैं जिन्हें आत्माओं का बसेरा माना जाता है, अभिभावक पहले ही अपने बच्चों को ऐसी जगहों से आगाह कर देते हैं. वैसे तो इस दुनियां में रहस्य और हॉरर से जुड़ी कहानियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यहां कई स्थान ऐसे भी हैं जो कहानियां नहीं बल्कि असल में रूहों और पिशाचों का निवास स्थान हैं.

बेरी पोमेरॉय का महल (टॉटनेस)
 बेरी पोमेरॉय का महल (टॉटनेस) – इस महल से जुड़ी कहावतों और कहानियों का संबंध चौदहवीं शताब्दी से है. ऐसा माना जाता है यहां दो बहुत लोकप्रिय महिलाओं, सफेद औरत और नीली औरत की आत्मा घूमती है. सफेद औरत मार्ग्रेट पोमेरॉय है. मार्ग्रेट की बहन उससे बहुत जलती थी. इसी जलन के कारण उसने मार्ग्रेट को कैद कर दिया था. कैद और भूख के कारण मार्ग्रेट की मृत्यु हो गई. वहीं नीली औरत कौन है यह अभी तक किसी को पता नहीं चला. लेकिन जो भी उस नीली औरत के पीछे जाता है वह कभी भी वापस नहीं आया.

डोमिनिकन हिल (फिलिपींस)
डोमिनिकन हिल (फिलिपींस) – लोगों का मानना है कि युद्ध के समय जो लोग मारे गए थे उनकी आत्माएं यहां भ्रमण करती हैं. वे घायल सैनिक या मरीज जो जीना चाहते थे वह आज भी इस स्थान पर रहते हैं. दरवाजों को जोर-जोर से खटखटाना, बर्तनों को तोड़ना और अजीब तरह से चिल्लाना यहां आत्माओं की पुष्टि करता है.





एडिनबर्ग का महल (स्कॉटलैंड
एडिनबर्ग का महल (स्कॉटलैंड) – इस मध्ययुगीन महल के विषय में प्रचलित कहानियां भी अत्याधिक भयानक हैं. देखने में यह महल बहुत खूबसूरत और आकर्षक है. इसके आसपास की जगह भी देखने में बहुत सुंदर है. लेकिन इस सुंदरता के बीच मृत लोगों की आवाजें और चीखें हैं. प्लेग और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय मरे लोगों की आत्माएं यहां घूमती हैं. कुछ लोग यहां कुत्तों की आत्माओं के होने की भी बात करते हैं.

मोंट क्रिस्टो (ऑस्ट्रेलिया)
मोंट क्रिस्टो (ऑस्ट्रेलिया) – ऑस्ट्रेलिया का यह स्थान बेहद खतरनाक है. लोगों का मानना है कि यहां एक महिला की आत्मा रहती है. पति के मृत्यु के पश्चात मिसेज क्रॉली नामक यह महिला 23 वर्ष में मात्र 2 बार अपने घर से बाहर निकली. आज यह अपने घर में किसी को भी घुसने नहीं देती. विशेषकर अपने कमरे में वह हमेशा अपनी मौजूदगी दर्ज करवाती है. लाइटों का अपने आप जलना और बंद हो जाना इस मकान की एक सामान्य निशानी है. कुछ लोगों का कहना है कि जैसे ही वह उस कमरे में गए उनकी सांस अपने आप बंद होने लगी. लेकिन कमरे से बाहर आने पर उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक हो गया.
एनशेंट रैम इन (इंगलैंड)
एनशेंट रैम इन (इंगलैंड) – कब्रिस्तान के ऊपर बनी यह इमारत पूरी तरह आत्माओं के कब्जे में है. यहां अजीब सी आवाजें हर समय सुनाई देती हैं. घर में बदबू के साथ-साथ असाधारण वस्तुएं भी मिलती रहती हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां हत्याएं होती थीं और बच्चों की बलि दी जाती थी.



स्क्रीमिंग टनल (ओंटारियो)

हाइगेट सिमिट्री (लंदन)
हाइगेट सिमिट्री (लंदन) – यह स्थान लंदन का सबसे कुख्यात भूतहा जगह है. यहां सर कटी आत्माएं घूमती हैं. यह एक बहुत सुंदर और आकर्षक स्थान है. यहां आने वाले लोग इसकी कलाकारी के भी कायल हो जाते हैं. कार्ल मार्क्स को भी यहीं दफनाया गया था.


 स्क्रीमिंग टनल (ओंटारियो) – स्क्रीमिंग टनल का रहस्य नायग्रा फॉल्स से संबंधित सभी कहानियों में सबसे ज्यादा भयानक है. यह टनल नायग्रा फॉल्स को टोरंटो से जोड़ती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस टनल में एक जलती हुई लड़की की आत्मा घूमती है. रात के समय वह इस टनल में बैठती है और माचिस से खुद को जलाकर पूरी रात चिल्लाती है.




ओहिओ यूनिवर्सिटी (अमेरिका) – इस यूनिवर्सिटी के ज्यादातर परिसर हॉंटेड माने जाते हैं. ब्रिटिश सोसाइटी फॉर फिसिकल रिसर्च का कहना है कि ओहिओ यूनिवर्सिटी दुनियां के सबसे हॉरर स्थानों में से एक है. विल्सन हॉल एक लड़की, जिसे सब चुड़ैल मानते थे, के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ था. वह लड़की अपने खून से इस हॉल की दीवारों पर असाधारण और रहस्यमयी कहानियां लिखने के बाद मर गई. वहीं वॉशिंगटन हॉल के विषय में ऐसा माना जाता है कि यहां उन खिलाड़ियों की आत्माएं घूमती हैं जो एक हादसे के अंदर मारे गए थे. कभी-कभार उन्हें बास्केटबॉल खेलते भी सुना जा सकता है.

शरीर त्यागने के बाद कहां जाती है आत्मा

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 गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं. मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं. अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है. गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं. इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था. इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है. 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है.



पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं. उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है. ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है.

आखिर मृत्यु के बाद आत्मा जाती कहां है?

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क्या वास्तव में इस दुनियां के बाद भी एक ऐसी दुनियां है जहां आत्मा को संरक्षित कर रखा जाता है अगर नहीं तो जीवन का अंत हो जाने पर आत्मा कहां चली जाती है?
 
 ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर नश्वर है, जिसने जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते हैं. भले ही मनुष्य या कोई अन्य जीवित प्राणी सौ वर्ष या उससे भी अधिक क्यों ना जी ले लेकिन अंत में उसे अपना शरीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना ही होता है.


यद्यपि इस सच से हम सभी भली-भांति परिचित हैं लेकिन मृत्यु के पश्चात जब शव को अंतिम विदाई दे दी जाती है तो ऐसे में आत्मा का क्या होता है यह बात अभी तक कोई नहीं समझ पाया है. एक बार अपने शरीर को त्यागने के बाद वापस उस शरीर में प्रदार्पित होना असंभव है इसीलिए मौत के बाद की दुनियां कैसी है यह अभी तक एक रहस्य ही बना हुआ है.


किस्से-कहानियों या फिर अफवाहों में तो मौत के पश्चात आत्मा को मिलने वाली यात्नाएं या फिर विशेष सुविधाओं के बारे में तो कई बार सुना जा चुका है लेकिन पुख्ता तौर पर अभी तक कोई यह नहीं जान पाया है कि क्या वास्तव में इस दुनियां के बाद भी एक ऐसी दुनियां है जहां आत्मा को संरक्षित कर रखा जाता है अगर नहीं तो जीवन का अंत हो जाने पर आत्मा कहां चली जाती है?


गीता के उपदेशों में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्मा अमर है उसका अंत नहीं होता, वह सिर्फ शरीर रूपी वस्त्र बदलती है. वैसे तो कई बार आत्मा की अमर यात्रा के विषय में सुना जा चुका है लेकिन फिर यह सबसे अधिक रोमांच और जिज्ञासा से जुड़ा मसला है.

Sector 9, Dwarka (Haunted Peepal Tree)

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"Many call centre executives traveling back home from Gurgaon at night have complained that whenever they pass this tree, an invisible hand slaps them hard. Then they see an old, haggard woman running behind their vehicles. They believe the tree is haunted and I am trying to ascertain if it's true.

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